पचपेड़वा विकासखंड गरीबों के हक़ पर डाका — कागज़ों पर मजदूरी, मैदान में सन्नाटा

निष्पक्ष जन अवलोकन। बलरामपुर जनपद के विकासखंड पचपेड़वा की ग्राम पंचायत परसा बिजुआ में सरकारी योजनाओं में बड़े पैमाने पर अनियमितताओं का खुलासा हुआ है। मौके पर जब मीडिया की टीम पहुंची तो वहाँ एक भी मजदूर काम करता नहीं मिला। ग्रामीण सूत्रों से मिली जानकारी चौंकाने वाली है — यहां रोज़ाना "डेली प्रोग्रेस" के नाम पर सिर्फ फोटो खींची जाती है, जिसे ऑनलाइन भेजकर कार्य प्रगति का झूठा प्रमाण दिया जाता है। हकीकत यह है कि कागज़ों पर काम पूरा दिखाया जा रहा है जबकि जमीन पर गड्ढों और अधूरे काम के अलावा कुछ नहीं। पांच अलग-अलग मास्टर रोल पर 45 मजदूरों के नाम चढ़ाकर उनकी ऑनलाइन अटेंडेंस दर्ज की जाती है, जबकि अधिकतर को न तो काम मिलता है और न ही मजदूरी। यह फर्जीवाड़ा सिर्फ कागज़ी आंकड़ों में ही नहीं, बल्कि गरीब मजदूरों के पेट पर सीधा वार है। सरकार की मनरेगा जैसी योजनाएं जिनका उद्देश्य ग्रामीण बेरोज़गारों को रोज़गार देना है, वे यहां भ्रष्टाचार के शिकंजे में जकड़ी हुई हैं। गाँव के बुजुर्गों का कहना है कि यह खेल लंबे समय से चल रहा है, लेकिन कोई ठोस कार्रवाई नहीं होती। गांव के रामलाल कहते हैं, "हमारे नाम से अटेंडेंस भर दी जाती है, लेकिन मजदूरी का एक पैसा भी हाथ में नहीं आता।" इस तरह के मामलों से साफ है कि प्रशासनिक तंत्र में बैठे कुछ लोग गरीबों का हक़ हड़पने में लगे हैं। सवाल है कि ज़िम्मेदार कब जागेंगे और दोषियों पर कब नकेल कसी जाएगी? यह घटना सिर्फ एक पंचायत की नहीं, बल्कि उस तंत्र की तस्वीर है जो फाइलों में चमकता है और असल ज़िंदगी में बदहाली छोड़ जाता है। अब देखना है कि क्या यह मामला केवल एक दिन की सुर्ख़ी बनकर रह जाएगा, या फिर गरीबों का हक़ दिलाने के लिए ठोस कदम उठेंगे।