गौमाता की सेवा ही जीवन का उद्देश्य- गौसेवा संवर्धन समिति गढ़वाल

गौमाता की सेवा ही जीवन का उद्देश्य- गौसेवा संवर्धन समिति  गढ़वाल

श्रीनगर गढ़वाल (अंकित उनियाल)

जब दुनिया स्वार्थ और व्यस्तताओं की ओर दौड़ रही है, तब भी कुछ लोग ऐसे हैं जो निःस्वार्थ सेवा को अपना सबसे बड़ा धर्म मानते हैं। श्रीनगर गढ़वाल की गौसेवा संवर्धन समिति एक ऐसी ही प्रेरणादायक संस्था है, जो गौमाता की सेवा को ही जीवन का उद्देश्य मानकर दिन-रात तत्पर रहती है। लेकिन यह समिति केवल गौमाता तक सीमित नहीं है—यह गायों के साथ-साथ बैल, सांड, बछड़े, और यहां तक कि घायल कुत्तों जैसे सभी बेसहारा और पीड़ित जीवों की सेवा करती है। यही इन्हें भीड़ से अलग बनाता है।

यह समिति एक परिवार की तरह है, जिसमें छोटे बच्चे से लेकर बुज़ुर्ग, युवा और महिलाएं तक पूरी श्रद्धा और समर्पण के साथ जुड़े हुए हैं। अक्सर देखा जाता है कि लोग गायों को केवल दूध देने तक सीमित मानते हैं, और जब वह बूढ़ी या बीमार हो जाती हैं तो उन्हें सड़कों पर बेसहारा छोड़ दिया जाता है। ऐसे में जब कोई निर्दोष जानवर सड़क हादसे का शिकार होता है, चोटिल होता है या पहाड़ी रास्तों से गिर जाता है—गौसेवा संवर्धन समिति सबसे पहले मौके पर पहुँचती है। चाहे तेज बारिश हो, ठिठुरती ठंड हो, चिलचिलाती गर्मी हो या आधी रात—यह टीम बिना किसी देरी के सेवा में जुट जाती है।

इस समिति की सबसे बड़ी खासियत यह है कि यह न केवल घायल पशुओं का उपचार करती है, बल्कि समाज को यह संदेश भी देती है कि सेवा का कोई धर्म, जात, समय या उम्र नहीं होता। यह कार्य सच्चे प्रेम, करुणा और संस्कृति से जुड़ा हुआ है। समिति का उद्देश्य सिर्फ उपचार तक सीमित नहीं है, बल्कि वह आने वाली पीढ़ी—बच्चों और युवाओं—को भी गौसेवा और पशु सेवा के प्रति प्रेरित कर रही है। यही कारण है कि आज इस संगठन से जुड़ी नई पीढ़ी सेवा को अपना गर्व समझती है।

श्रीनगर गढ़वाल में इस समिति ने न केवल जीवों की सेवा की, बल्कि समाज के सोचने के ढंग को भी बदल दिया है। यह बताने की आवश्यकता नहीं कि ये लोग असली नायक हैं, जिनकी सेवा भावना हर मौसम, हर परिस्थिति और हर चुनौती से ऊपर है। इन्होंने यह सिद्ध कर दिया कि जब सेवा सच्ची हो, तो कोई भी बाधा रास्ता नहीं रोक सकती।