ग्राम पंचायत नवाडीह में विकास कार्य ठप सामुदायिक शौचालय और सचिवालय बंद, चारों ओर फैली गंदगी से ग्रामीण परेशान

ग्राम पंचायत नवाडीह में विकास कार्य ठप सामुदायिक शौचालय और सचिवालय बंद, चारों ओर फैली गंदगी से ग्रामीण परेशान

जनपद बलरामपुर विकासखंड पचपेड़वा के ग्राम पंचायत नवाडीह सूत्र से की स्थिति लगातार बदहाल बनी हुई है। गांव में लंबे समय से गंदगियों का अंबार लगा हुआ है, जिससे लोगों का जीना दूभर हो गया है। साफ-सफाई व्यवस्था पूरी तरह ठप पड़ चुकी है। हालात यह हैं कि सामुदायिक शौचालय महीनों से बंद पड़ा हुआ है और संचालित नहीं हो रहा है। मजबूरी में ग्रामीणों को खुले में शौच के लिए जाना पड़ता है, जबकि सरकार खुले में शौच मुक्त (ओडीएफ) गांवों के दावे करती है। गांव का पंचायत सचिवालय भी केवल दिखावा बनकर खड़ा है। ग्रामीण बताते हैं कि वहां गरीबों का न तो जाति प्रमाण पत्र बनता है, न निवास और न ही किसी प्रकार का अन्य जरूरी कार्य संपन्न होता है। सचिवालय महीनों से बंद पड़ा रहता है। सौरभ श्रीवास्तव सचिव गांव में कभी दिखाई ही नहीं देते, वहीं प्रधान भी समस्याओं से अनजान बने रहते हैं। नतीजा यह है कि गांव के गरीब और जरूरतमंद लोग अपने छोटे-छोटे कामों के लिए दर-दर भटकते रहते हैं। गांव की यह स्थिति पहली बार नहीं उजागर हुई है। निष्पक्ष जन अवलोकन ने इस मुद्दे को 21 जून और उसके बाद 9 अगस्त को प्रमुखता से प्रकाशित किया था। बावजूद इसके जिम्मेदार अधिकारियों के कानों पर जूं तक नहीं रेंगी। शिकायतें लगातार उठती रहीं लेकिन कोई ठोस कदम अब तक नहीं उठाया गया। जब इस संदर्भ में संवाददाता ने दूरभाष पर अधिकारियों से संपर्क किया तो एडीओ पंचायत ने केवल इतना कहा कि संबंधित सचिव और प्रधान से स्पष्टीकरण मांगा गया है। लेकिन सवाल यह उठता है कि आखिरकार कब तक गरीब जनता को आश्वासन के भरोसे रखा जाएगा? क्या केवल नोटिस भेज देने और स्पष्टीकरण मांग लेने से गांव की गंदगी साफ हो जाएगी या शौचालय अपने आप चालू हो जाएंगे? ग्रामीणों का कहना है कि अगर प्रशासन ने समय रहते ध्यान नहीं दिया तो नाराजगी बढ़ेगी और लोग बड़े आंदोलन के लिए मजबूर होंगे। पंचायत सचिवालय और सामुदायिक शौचालय का चालू न होना सीधे-सीधे शासन की योजनाओं की पोल खोल रहा है। जिम्मेदारों की उदासीनता और लापरवाही की कीमत गरीब जनता चुका रही है। गांव की यह तस्वीर साफ संदेश देती है कि योजनाओं का लाभ जमीनी स्तर तक पहुंचाने में जिम्मेदार अधिकारी कितने नाकाम हैं। अगर जल्द ही ठोस कदम नहीं उठाए गए तो नवाडीह की यह बदहाली और भी गंभीर हो सकती है।