फर्जी मनरेगा कार्य का पर्दाफाश बरसात में भी चल रहे हैं मजदूरों की ऑनलाइन हाजिरी असली मजदूरों को नहीं मिल रहा है नहीं मिल रहा है मेहनताना

निष्पक्ष जन अवलोकन। जनपद बलरामपुर के पचपेड़वा विकासखंड अंतर्गत ग्राम पंचायत सिसहनिया घोपालपुर में मनरेगा योजना के नाम पर एक बड़ा फर्जीवाड़ा उजागर हुआ है। 2 अगस्त को जहां 26 मजदूरों की ऑनलाइन हाजिरी दर्ज की गई, वहीं 4 अगस्त को 17 मजदूरों का ऑनलाइन उपस्थिति रिकॉर्ड दिखाया गया, जबकि धरातल पर उस दिन न बारिश रुकी थी और न ही कोई कार्य संभव था। स्थानीय लोगों के अनुसार मई माह में जिस पुलिया के पास मनरेगा कार्य पूरा हो चुका था, उसी पुराने स्थल को दिखाकर दोबारा मजदूरों की ऑनलाइन हाजिरी चढ़ाई जा रही है। कुछ फोटो पुराने काम की दोबारा खींचकर पोर्टल पर अपलोड किए जा रहे हैं, ताकि झूठे दस्तावेज बनाकर भुगतान हासिल किया जा सके। सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि जिन मजदूरों के नाम पर हाजिरी चढ़ाई जा रही है, वे या तो गांव में मौजूद ही नहीं हैं या फिर उन्हें एक पैसे की मजदूरी तक नहीं मिली है। कुछ मजदूरों ने बताया कि उन्होंने कोई काम नहीं किया, फिर भी उनके नाम पर भुगतान दिखाया जा रहा है। इस पूरे मामले में ग्राम प्रधान, सचिव, रोजगार सेवक और उच्च स्तर के अधिकारियों की मिलीभगत की आशंका जताई जा रही है। फर्जीवाड़ा इतना गहरा है कि पहले भी इसी तरह के मामलों में बिशनपुर ग्राम पंचायत के तत्कालीन प्रधान, सचिव, रोजगार सेवक व अन्य अधिकारी जेल की सलाखों के पीछे जा चुके हैं, लेकिन बावजूद इसके मनरेगा घोटाले पर लगाम नहीं लग रही। ग्रामीणों ने जब पचपेड़वा के खंड विकास अधिकारी मोहित दुबे से संपर्क करने की कोशिश की तो उन्होंने फोन उठाना भी मुनासिब नहीं समझा। इससे साफ है कि या तो वे खुद इस घोटाले से अनजान हैं या फिर जानबूझकर आंखें मूंदे हुए हैं। इस फर्जीवाड़े से मनरेगा जैसी जनहितकारी योजना की साख पर बट्टा लग रहा है और असल हकदार मजदूरों को उनका अधिकार नहीं मिल पा रहा। ग्रामीणों ने जिलाधिकारी बलरामपुर से मांग की है कि मामले की उच्चस्तरीय जांच करवाई जाए और दोषियों पर सख्त कार्रवाई करते हुए उन्हें जेल भेजा जाए, ताकि भविष्य में कोई गरीब मज़दूरों की मेहनत से इस तरह खिलवाड़ न कर सके।