पचपेड़वा विकासखंड बिशनपुर विश्राम सरकारी समिति पर खाद वितरण में धांधली स्थानीय किसानों की अनदेखी बाहरी लोगों को किया जा रहा लाभान्वित

निष्पक्ष जन अवलोकन। संवाददाता रोबिना खातून। जनपद बलरामपुर के विकासखंड पचपेड़वा अंतर्गत ग्राम पंचायत बिशनपुर विश्राम की सरकारी खाद समिति में भारी अनियमितता सामने आई है। सूत्रों के अनुसार इस समिति से खाद वितरण का लाभ आसपास के गांवों — वीरपुरसिमरा, खाद गौरा, ऊंचा, भूसहर, फोगही, सिसवा, सुगा नगर, डुमरी, बरेयता आदि ग्रामीण अंचलों को मिलना चाहिए, लेकिन वास्तविकता इससे बिल्कुल उलट है। ग्रामीणों का आरोप है कि समिति के कर्मचारी और कुछ स्थानीय दलाल मिलकर खाद वितरण व्यवस्था में गड़बड़ी कर रहे हैं। जरूरतमंद और हकदार किसानों को नजरअंदाज कर, दूर-दराज से आए कुछ लोगों को विशेष सुविधा दी जा रही है। ये लोग अक्सर समिति कर्मचारियों के रिश्तेदार या जान-पहचान वाले होते हैं, जिन्हें यूरिया ₹270 के रेट पर बेचा जा रहा है। समिति परिसर में सुबह से लेकर देर शाम तक किसान लाइन में लगे रहते हैं, लेकिन कर्मचारियों का व्यवहार बेहद असंवेदनशील और उपेक्षापूर्ण बना रहता है। खाद पाने के लिए घंटों धूप में खड़े रहने के बावजूद जब बारी आती है तो उन्हें यह कहकर टाल दिया जाता है कि स्टॉक खत्म हो गया है। जबकि कुछ ही मिनट बाद "चहेते लोगों" को बुलाकर चुपचाप यूरिया की बोरियां थमा दी जाती हैं। इससे स्थानीय किसानों में गहरा आक्रोश है। ग्राम बरेयता और डुमरी के कुछ किसानों ने बताया कि वे तीन-तीन दिन से लाइन में लग रहे हैं लेकिन हर बार खाली हाथ लौटना पड़ा। वहीं दूसरी ओर, समिति के पास दिनदहाड़े बाहर के लोगों को आसानी से खाद मिल रहा है। इससे स्पष्ट है कि खाद वितरण में बड़ा खेल खेला जा रहा है और गरीब, मेहनतकश किसानों के हक पर डाका डाला जा रहा है। गांव वीरपुरसिमरा के किसान रामलाल, भूसहर की सुनीता देवी, और सुगानगर के श्याम बाबू ने बताया कि अब तक उन्हें खाद नहीं मिल पाया है, जबकि कुछ लोगों को बार-बार बोरियों में यूरिया मिलता जा रहा है। एक किसान ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि समिति कर्मचारी खुलेआम कहते हैं कि "पहले पैसा दिखाओ फिर खाद मिलेगा"। यह स्थिति न केवल भ्रष्टाचार की गवाही देती है, बल्कि स्थानीय प्रशासन की लापरवाही को भी उजागर करती है। यदि समय रहते जिम्मेदार अधिकारियों ने ध्यान नहीं दिया तो यह गड़बड़ी बड़े किसान आंदोलन का रूप ले सकती है। ग्रामीणों ने मांग की है कि जिला प्रशासन इस प्रकरण की निष्पक्ष जांच कराए और दोषी कर्मचारियों व दलालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए ताकि सरकारी योजनाओं का लाभ वाकई जरूरतमंद किसानों तक पहुंचे, न कि सिफारिश और रिश्वत के जरिए चुने हुए लोगों तक।