ग्राम पंचायत चतुर नगर में मनरेगा घोटाला की गूंज निष्पक्ष जन अवलोकन पर भी अधिकारी खामोश क्यों

ग्राम पंचायत चतुर नगर में मनरेगा घोटाला की गूंज निष्पक्ष जन अवलोकन पर भी अधिकारी खामोश क्यों

निष्पक्ष जन अवलोकन। संवाददाता रुबीना खातून। जनपद बलरामपुर के विकासखंड गैसड़ी के अंतर्गत ग्राम पंचायत चतुर नगर में मनरेगा कार्यों को लेकर गंभीर अनियमितताओं की परतें खुलती जा रही हैं। दिनांक 26 जून को एक स्थानीय निष्पक्ष जन अवलोकन द्वारा इस मुद्दे को उजागर किया गया था, जिसमें यह साफ तौर पर सामने आया कि कार्यस्थल पर फोटो से फोटो खींचकर उपस्थिति दर्ज की जा रही है। मज़दूरों की तस्वीरें खुद इस बात की गवाही दे रही हैं कि वे कार्य करने नहीं, बल्कि केवल औपचारिकता निभाने के लिए बुलाए गए थे। आश्चर्य की बात यह है कि 8 जुलाई तक भी संबंधित अधिकारी पूरी तरह से मौन हैं। शिकायतें और सबूत उनके टेबल तक जरूर पहुंचे, लेकिन कार्रवाई की जगह अब तक कुर्सियों पर चुप्पी पसरी हुई है। विकासखंड अधिकारी को बार-बार अवगत कराने के बावजूद उनका रवैया बेहद लापरवाह और असंवेदनशील बना हुआ है। ऐसा प्रतीत होता है मानो वे एक कान से सुनते हैं और दूसरे से निकाल देते हैं। चतुर नगर की जनता सवाल कर रही है – जब पड़ोसी ब्लॉक पचपेड़वा में तालाब निर्माण में फर्जीवाड़ा पकड़े जाने पर संबंधित ग्राम प्रधान, सचिव और रोजगार सेवक पर कार्रवाई हो सकती है, तो गैसड़ी में यह चुप्पी क्यों? क्या यहां के अधिकारियों की आंखें बंद हैं, या फिर भ्रष्टाचार के खिलाफ कार्रवाई का मापदंड भी राजनीति से तय होता है? मनरेगा जैसी योजना गरीबों के जीवन में बदलाव लाने के लिए बनाई गई थी, लेकिन जब यही योजना कुछ लोगों की जेब भरने का जरिया बन जाए, तो यह लोकतंत्र की असफलता और प्रशासन की संवेदनहीनता को उजागर करता है। अब देखना यह होगा कि चतुर नगर में जन आवाज़ का असर होता है या फिर यह भी एक और धूल फांकती रिपोर्ट बनकर रह जाएगी।