सिसहनिया घोपालपुर में गंदगियो का अंबरा बच्चों की सहित पर मंडराता खतरा प्रशासन मौन

निष्पक्ष जन अवलोकन। संवाददाता बदरूजमा चौधरी। विकासखंड पचपेड़वा, जनपद बलरामपुर। ग्राम पंचायत सिसहनिया घोपलापुर इन दिनों गंभीर गंदगी की समस्या से जूझ रहा है। गांव की गलियों में कूड़े-कचरे के ढेर, नालियों से बहता गंदा पानी और मच्छरों का आतंक ग्रामीणों के लिए एक बड़ी समस्या बन चुका है। खासकर बच्चों की सेहत पर इसका बुरा असर पड़ रहा है। संक्रमण फैलने की आशंका बढ़ गई है, लेकिन स्थिति यह है कि सफाईकर्मी गांव में महीनों से नजर नहीं आए हैं। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार गांव में न तो नियमित सफाई हो रही है और न ही मच्छरनाशक दवाओं का छिड़काव किया जा रहा है। बरसात के मौसम में यह स्थिति और भी भयावह हो चुकी है। नालियां ओवरफ्लो होकर सड़कों पर बह रही हैं, जिससे चारों ओर बदबू और गंदगी फैली है। स्कूल जाने वाले बच्चों और बुजुर्गों के लिए यह गंदगी बीमारी को खुला न्योता दे रही है। ग्रामीणों का कहना है कि इस मुद्दे को लेकर वे कई बार एडीओ पंचायत से शिकायत कर चुके हैं। संजू देवी, ग्राम निवासी बताती हैं कि उन्होंने व्यक्तिगत रूप से भी कई बार कार्यालय जाकर शिकायत दर्ज कराई, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। गांव की राधिका नामक महिला ने बताया कि उसके बच्चे को पिछले हफ्ते तेज बुखार और डायरिया हो गया, डॉक्टर ने साफ कहा कि यह गंदे पानी और मच्छरों के कारण हुआ है। गांव के प्रधान प्रतिनिधि भी इस मामले पर खामोश हैं। पंचायत स्तर से लेकर ब्लॉक तक कोई समाधान की पहल नहीं दिख रही है। एक तरफ सरकार स्वच्छ भारत अभियान के तहत गांवों को साफ-सुथरा और स्वास्थ्यपूर्ण बनाने का दावा कर रही है, वहीं सिसहनिया घोपलापुर जैसे गांव इसकी हकीकत को उजागर कर रहे हैं। यह स्थिति केवल एक गांव की नहीं है, बल्कि पूरे विकासखंड की सफाई व्यवस्था पर सवाल खड़ा करती है। यदि समय रहते सफाई और छिड़काव जैसी बुनियादी व्यवस्था दुरुस्त नहीं की गई, तो स्थिति और भी गंभीर हो सकती है। ग्रामीणों की मांग है कि जल्द से जल्द सफाईकर्मी तैनात किए जाएं, मच्छरनाशक दवाओं का छिड़काव हो, और स्वास्थ्य विभाग द्वारा कैंप लगाकर बच्चों की जांच की जाए। अन्यथा आने वाले दिनों में यह गंदगी एक बड़े स्वास्थ्य संकट का रूप ले सकती है।