पंचायत सचिवालय बने शोपीस गरीबों की उम्मीदें पर पानी सिसानिया घोपालपुर में बदहाल व्यवस्था

निष्पक्ष जन अवलोकन। संवाददाता बदरूजमा चौधरी। बलरामपुर जिले की ग्राम पंचायत सिसहानिया घोपलापुर में सरकार द्वारा करोड़ों की लागत से बनाए गए पंचायत सचिवालय की हालत आज बद से बदतर हो गई है। सरकार की मंशा थी कि गांव के लोग अपने रोजमर्रा के सरकारी कामकाज के लिए भटकने के बजाय गांव में ही समाधान पा सकें। लेकिन यहां की हकीकत कुछ और ही कहानी कह रही है – एक ऐसी कहानी जो दिल को झकझोर देती है। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार पंचायत सचिवालय के दरवाजे महीनों से बंद पड़े हैं। न तो सचिव नियमित रूप से आते हैं और न ही ग्राम प्रधान की कोई उपस्थिति देखी जाती है। गांव के लोगों को प्रमाण पत्र, मनरेगा, वृद्धावस्था पेंशन, आवास योजना जैसी आवश्यक सेवाओं के लिए कई किलोमीटर दूर ब्लॉक कार्यालय के चक्कर काटने पड़ते हैं। इससे गरीब, बुजुर्ग और असहाय लोगों को भारी परेशानी हो रही है। सबसे दुखद बात यह है कि जिस पंचायत सचिवालय में लोगों की उम्मीदें बसती थीं, वह अब वीरान पड़ा है। बिजली-पानी जैसी मूलभूत सुविधाएं तक नहीं हैं। दीवारों पर लगी सरकार की योजनाओं की सूचनाएं धुंधली पड़ चुकी हैं, और उस पर जमी धूल मानो इस व्यवस्था की सुस्ती को बयां कर रही हो। लेखपाल और अन्य विभागीय अधिकारी भी नदारद हैं। ग्रामीणों का कहना है कि कई बार शिकायत की गई, लेकिन सुनवाई के नाम पर सिर्फ आश्वासन मिला। ना तो कोई निरीक्षण होता है और ना ही जिम्मेदार अधिकारियों पर कार्रवाई। सरकार की महत्वाकांक्षी योजना ‘हर पंचायत में सचिवालय’ की असल तस्वीर अगर देखनी हो, तो सिसहानिया घोपलापुर इसका जीता-जागता उदाहरण है। यह एक सवाल है सिर्फ शासन-प्रशासन के कामकाज पर ही नहीं, बल्कि उस भरोसे पर भी जो जनता ने सरकार पर जताया था। क्या ग्राम पंचायत सिसहानिया घोपलापुर के गरीबों की आवाज अब भी किसी तक पहुंचेगी? या फिर ये पंचायत सचिवालय यूँ ही खंडहर बनकर खड़ा रहेगा?