अवर्षण के बावजूद गंगा का जलस्तर बढ़ने से तटवर्ती इलाकों में हड़कंप

निष्पक्ष जन अवलोकन
प्रमोद सिन्हा
गाज़ीपुर। अवर्षण और भयंकर गर्मी से भले ही किसानों के माथे पर बल पड़े हैं और अपनी धान की सुखती नर्सरी को देखकर सारे किसान परिवार अपनी खेती को लेकर चिन्तित हैं खेती के लिए आषाढ़ माह की बारिश खेतों को नया जीवन देती है जो मामूली बरसात के साथ बीत गयी। इस वर्ष भयंकर गर्मी और सूखे की मार झेल रहे लोगों को भले ही अब तक गर्मी से राहत नहीं मिली है लेकिन गंगा नदी का जलस्तर अब बढ़ने लगा है। सावन के माह में निस्तेज पड़े खेतों में धूल उड़ रही है और प्राणी जन उमस और गर्मी से परेशान हैं। अवर्षण और गर्मी के बावजूद गंगा नदी का जलस्तर लगातार बढ़ रहा है। नदी किनारे बसेरा बनाए लोगों व समीपवर्ती बस्तियों के निवासियों पर बाढ़ का खतरा मंडराने लगा है। पिछले हफ्ते से लगातार बढ़ाव की ओर अग्रसर गंगा नदी रविवार 13 जुलाई को निर्धारित सामान्य जलस्तर 59.906 मीटर को पार गयी है। अपराह्न दो बजे गंगा नदी का जलस्तर 59.930 मीटर रहा और गंगा का जलस्तर 3 सेंटीमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से बढ़ रहा है। यदि यही स्थिति बनी रही तो जल्द ही जलस्तर चेतावनी बिंदु की सीमा 61.550 मीटर को भी पार कर जायेगी। उल्लेखनीय है कि खतरा बिन्दु 63.105 मीटर तथा बाढ़ का उच्च स्तर 65.220 मीटर निर्धारित हैउल्लेखनीय है कि वर्ष 2019 में बाढ़ का उच्च जलस्तर 64.530 मीटर, वर्ष 2021 बाढ़ का उच्च जलस्तर 64.680 मीटर, वर्ष 2022 बाढ़ का उच्च जलस्तर 64.390 मीटर तथा वर्ष 2023 में बाढ़ का उच्च जलस्तर 61.700 मीटर रहा है ।