लोकतंत्र की ताकत को पहचानिए – एक जागरूक अपील:- प्रियंका खत्री छात्रा प्रतिनिधि।

श्रीनगर गढ़वाल(अंकित उनियाल)
जुलाई माह में त्रिस्तरीय पंचायती चुनाव होने जा रहे हैं, जिसमें विभिन्न क्षेत्रों से अनेक लोग अपनी दावेदारी प्रस्तुत करेंगे। इस बार अधिकतर सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित हैं, जो एक सराहनीय पहल है। मैं उन सभी महिलाओं को हार्दिक शुभकामनाएं प्रेषित करती हूं, जो इस बार चुनाव मैदान में उतरकर नेतृत्व का साहस दिखा रही हैं।
लेकिन सवाल यह है कि क्या ये महिलाएं सच में अपने क्षेत्र की मूलभूत समस्याओं – जैसे सड़क, पानी, शिक्षा, स्वास्थ्य और साफ-सफाई – के लिए संघर्ष करेंगी? या फिर यह जिम्मेदारी उनके पति या अन्य पुरुष परिजनों द्वारा निभाई जाएगी? क्या यह नेतृत्व उनका स्वयं का होगा, या फिर परदे के पीछे कोई और निर्णय लेगा?
हमें यह सोचने की जरूरत है कि यदि महिला केवल नाम मात्र की उम्मीदवार बनी रहे, और नेतृत्व का कार्य किसी और के हाथ में हो, तो यह लोकतंत्र के मूल उद्देश्य के साथ एक बड़ा धोखा होगा।
इसलिए, मैं क्षेत्र के सभी मतदाताओं से अपील करती हूं कि वे अपने मत का उपयोग सोच-समझकर करें। रिश्तेदारी, जाति, पैसों या शराब के प्रभाव में आकर वोट न दें। उन उम्मीदवारों को समर्थन दें, जिन्होंने चुनाव से पहले ही क्षेत्र की समस्याओं के लिए आवाज उठाई है।
अपने मताधिकार का प्रयोग करते समय इस बात का ध्यान रखें कि आप केवल एक व्यक्ति को नहीं चुन रहे हैं, बल्कि क्षेत्र के भविष्य को दिशा दे रहे हैं। गलत प्रतिनिधि को चुनना मतलब अपने क्षेत्र की प्रगति रोकना है, क्योंकि वह व्यक्ति केवल अपने स्वार्थों की पूर्ति करेगा।
लोकतंत्र की सबसे बड़ी ताकत "वोट" है, और यह ताकत तब ही सार्थक बनती है जब हम इसे सोच-समझकर उपयोग करें। विशेषकर युवाओं से मेरी विशेष अपील है कि वे जागरूक बनें और दूसरों को भी जागरूक करें।
मुझे पूर्ण विश्वास है कि मेरे क्षेत्रवासी इस बार एक सही, ईमानदार और कर्मठ जनप्रतिनिधि का चयन करेंगे, जो वास्तव में जनता की सेवा और क्षेत्र के विकास के लिए समर्पित हो।