ग्राम पंचायत में सिसहनिया घोपालपुर 4 साल से नहीं हुई खुली बैठक ग्रामीणों की गहरी नाराजगी

निष्पक्ष जन अवलोकन। रुबीना खातून। पचपेड़वा (बलरामपुर)। विकासखंड पचपेड़वा के अंतर्गत आने वाली ग्राम पंचायत सिसहनिया घोपालपुर में पिछले चार वर्षों से न खुली बैठक हुई है, न ही ग्रामवासियों और वार्ड सदस्यों को किसी भी विकास कार्य की जानकारी दी गई है। यह मामला अब गांव के लोगों के बीच चर्चा का गंभीर विषय बन गया है। ग्रामीणों का कहना है कि पंचायत प्रतिनिधियों द्वारा न तो किसी योजना की जानकारी दी जाती है और न ही पारदर्शिता बरती जा रही है। ग्रामीणों का आरोप है कि शासन के निर्देश के बावजूद ग्राम सभा की बैठकें नहीं बुलाई गईं, जिससे गांव के विकास कार्यों की पारदर्शिता पर सवाल उठ रहे हैं। वहीं कई लोगों का यह भी कहना है कि उन्हें आज तक यह नहीं बताया गया कि गांव में कौन-कौन सी योजनाएं संचालित हो रही हैं, कितनी धनराशि आई और किन कार्यों में खर्च की गई। वार्ड सदस्यों का भी कहना है कि उन्हें भी योजनाओं की कोई पूर्व जानकारी नहीं दी जाती। कई वार्ड सदस्य तो यह तक नहीं जानते कि ग्राम निधि से किस काम के लिए कितना बजट पास हुआ है। इससे यह स्पष्ट होता है कि पंचायत का संचालन कुछ व्यक्तियों के इशारे पर बंद कमरे में किया जा रहा है, जो पूर्णतः असंवैधानिक है। गांव के बुजुर्ग रमाकांत का कहना है, “पिछले चुनाव में हमें उम्मीद थी कि गांव का विकास होगा, लेकिन अब तक कोई खुली बैठक नहीं हुई। हमें कुछ नहीं बताया जाता कि क्या हो रहा है।” दूसरी ओर महिला प्रतिनिधि सरस्वती देवी ने बताया कि “हम वार्ड सदस्य हैं, पर हमें कभी सूचना नहीं दी जाती कि बैठक कब होगी या क्या कार्य योजना है। पंचायत सचिव और प्रधान मिलकर ही सारा निर्णय लेते हैं।” ग्रामीणों ने अब इस मुद्दे पर जिला प्रशासन से हस्तक्षेप की मांग की है। लोगों का कहना है कि यदि जल्द ही ग्राम सभा की बैठक बुलाकर पारदर्शिता नहीं लाई गई तो वे जिलाधिकारी को सामूहिक शिकायत पत्र देंगे। विशेषज्ञों की राय में, खुली बैठकें न होना न केवल पंचायत राज अधिनियम का उल्लंघन है, बल्कि यह जनप्रतिनिधियों के प्रति लोगों का विश्वास भी तोड़ता है। अब देखना यह होगा कि ग्रामीणों की आवाज़ पर प्रशासन कितना संज्ञान लेता है और ग्राम पंचायत सिसहनिया घोपालपुर में विकास की दिशा में पारदर्शिता कब तक सुनिश्चित होती है।