पचपेड़वा के सिसहनिया घोपालपुर में लोकतंत्र की चौथे स्तंभ पर संकट कोटेदार की दबंगई बनी खतरा

निष्पक्ष जन अवलोकन। संवाददाता बदरूज्जमां चौधरी । बलरामपुर जनपद के विकासखंड पचपेड़वा के अंतर्गत आने वाले गांव – सिसहानिया, घोपलापुर, सलीम हारैया, चंद्रसी, और धीराज पाल – इन दिनों लोकतंत्र के चौथे स्तंभ यानि पत्रकारिता के अस्तित्व पर गहरा संकट मंडरा रहा है। कोटेदारों की गड़बड़ियों की खबरें उजागर करना अब जान पर बन आया है। स्थानीय संवाददाता जब सरकारी राशन वितरण में अनियमितता, भेदभाव और ग्रामीणों की शिकायतों को लेकर सच्चाई सामने लाने निकला, तो उसे न केवल धमकियां मिलीं बल्कि खुलेआम कहा गया कि "हाथ-पांव तोड़ दिए जाएंगे।" गांव के कुछ कोटेदार कथित रूप से छोटे नेताओं के संरक्षण में दबंगई पर उतर आए हैं। इन्हीं नेताओं की छत्रछाया में ये कोटेदार ग्रामीणों को भी धमकाते हैं, और जब कोई पत्रकार सच्चाई उजागर करने आता है तो उसे चुप कराने की कोशिश की जाती है। धीरज पाल गांव में तो संवाददाता को घेरकर डराने-धमकाने की कोशिश की गई। "खबर निकाली तो अंजाम भुगतना होगा," जैसी बातें खुलेआम कही जा रही हैं। यह घटना सिर्फ एक पत्रकार की नहीं, बल्कि पूरे लोकतंत्र पर सवाल खड़ा करती है। पत्रकारिता का कार्य समाज को आईना दिखाना है, लेकिन जब यही आईना दिखाना जानलेवा बन जाए तो यह लोकतंत्र के लिए शर्मनाक स्थिति है। सवाल यह है कि क्या जनप्रतिनिधि, प्रशासन और शासन इस दबंगई पर आंखें मूंदे बैठे रहेंगे? आखिर कब तक कोटेदारों की मनमानी और नेताओं की मिलीभगत ग्रामीणों और पत्रकारों की आवाज को दबाती रहेगी? ज़रूरत है प्रशासनिक हस्तक्षेप की, ताकि ग्रामीणों को उनका हक मिले और पत्रकार सुरक्षित रहकर सच्चाई लिख सकें।