जेल मे बंदी से मुलाकातियों की मुलाकात मे मुसीबतो का अंबार
निष्पक्ष जन अवलोकन। मनीष सिंह जादौन उरई(जालौन)प्रतिदिन जिला जेल मे निरूद्ध बंदियो से मुलाकात के लिए सैकड़ो लोग आते है। इसके अलावा जेल मे राजनैतिक तथा निर्दोष बंदी भी रहते है। जिन्हे पुलिस फर्जी फंसा कर जेल मे डाल देती है। ऐसे बंदी ट्रायल कोर्ट तथा हाईकोर्ट से निर्दोष साबित होकर बरी होते है। उन बंदियों से मिलने वाले मुलाकातियों से व्यवहार गैर जिम्मेदाराना होता है। सरकार यकूब अफजल गुरू कसाब को तो बिरयानी खिलाती है। तथा इनसे देश विरोधियों की मुलाकात भी हो जाती है। तथा आधी रात्रि मे सुप्रीम कोर्ट खुलते और सुनवाई करते है। लेकिन आम जनता के पैंसे चलने वाली जेल तथा इनके अंग्रेज अधिकारी कर्मचारी खुद तो जनता के पैसे से एयर कंडीशन ए सी लगाये वही मुलाकातियों जिनके टैक्स पैसे जेल चलती अधिकारी पगार पाते वह धूप मे दो -चार होती है वह लपट गरम हवा तथा धूप का शिकार होती यह अंग्रेजी शासन की याद ताजा करवाती हैं। ऐसे मे सोचना जरूरी है कि आम जनमानस देश के प्रति कब तक वफादार रहेगा । क्योकि अब आजादी असली मजा तो अधिकारी तथा सरकार के नेता गण उठाते है और जनता अपने आप को ठगा महसूस करती है।