बलिदान दिवस पर भाजपा ने स्मरण किया अपने पित्र पुरुष को। जिलाध्यक्ष चितरंगी विधानसभा के सभी मंडलों में पहुंचे

निष्पक्ष जाना अवलोकन! सोनू वर्मा! सिंगरौली/भारतीय जनसंघ के संस्थापक और भारतीय जनता पार्टी के पितृ पुरुष डा श्यामा प्रसाद मुखर्जी जी की पुण्यतिथि है। इसी दिन 1953 मे जम्मू-कश्मीर मे डॉ मुखर्जी जी की पुलिस हिरासत मे मृत्यु हुई थी जहां वो कश्मीर के अंदर कश्मीर के लिए एक विधान, एक प्रधान और एक निशान के आंदोलन को मुखर करने के गये हुए थे। तब की तत्कालीन कांग्रेस की सरकार ने उन्हें गिरफ्तार किया और पुलिस हिरासत में ही उनकी रहस्यमय परिस्थितियों मे मृत्यु हुई। तब का उनसंघ ही आज की भारतीय जनता पार्टी है और यही भारतीय जनता पार्टी अपने पितृ पुरुष की पुण्यतिथि को बलिदान दिवस के रूप मे मनाती आ रही है। 11 साल बेमिसाल संकल्प से सिद्धि अभियान के अंतर्गत होने वाले कार्यक्रमों मे बलिदान दिवस को पार्टी ने विशेष स्थान दिया तथा जिले भर के 950 से अधिक बूथों पर बलिदान दिवस के कार्यक्रम को आयोजित किया तथा एक पेड़ मां के नाम प्रयास के अंतर्गत वृक्षारोपण किया। प्रत्येक बूथ पर डा श्यामा प्रसाद मुखर्जी की छायाप्रति पर पुष्पांजलि की गई तथा संगठन की ओर से भेजे गये प्रभारियों ने डा मुखर्जी के बलिदान से कार्यकर्ताओं को अवगत कराया। जिले के समस्त जनप्रतिनिधि एवं पदाधिकारी निर्धारित बूथों पर प्रभारी के रूप में गये तथा बलिदान दिवस के कार्यक्रम को सफल बनाया। जिला मीडिया प्रभारी नीरज सिंह परिहार ने बताया कि जिलाध्यक्ष चितरंगी विधानसभा के गोरबी, नौढि़या, बगैया, मौहरिया मंडलों के विभिन्न शक्ति केंद्रों के बूथों पर जाकर बलिदान दिवस के कार्यक्रम मे सम्मिलित हुए तथा एक पेड़ मां के नाम अभियान मे वृक्षारोपण किया तथा संगठन के कार्यों की समीक्षा की। जिलाध्यक्ष ने डा श्यामा प्रसाद मुखर्जी जी की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर उनको श्रद्धांजलि दी तथा उनके योगदान को कार्यकर्ताओं के सामने रखा। अपने वक्तव्य में जिलाध्यक्ष सुंदरलाल शाह ने कहा कि नेहरू जी की तुष्टिकारक नीति और शेख अब्दुल्ला से समझौते के कारण भारत का स्वर्ण मुकुट होने के बाद भी जम्मू-कश्मीर परोक्ष रूप से भारत का हिस्सा नहीं रह गया था और वहां अलग संविधान, अलग झंडा, और अलग प्रधानमंत्री निर्वाचित होता था । धारा 370 और 35ए के नाम पर कश्मीर को भारत से अलग रख कर तुष्टिकरण की राजनीति की जा रही थी। डा मुखर्जी ने इसका घोर विरोध किया और नारा दिया कि एक देश मे दो प्रधान, दो विधान और दो निशान नहीं चलेंगे। उस समय जम्मू-कश्मीर जाने के लिए भारतीयों को वीजा लेना पड़ता था। एक देश मे ऐसी दोहरी नीति के विरोध मे मुखर्जी जी ने आंदोलन को नेतृत्व दिया और जम्मू कश्मीर मे बिना अनुमति के अंदर गये और लाल चौक मे तिरंगा फहराया। उन्हें जाते हुए तो नहीं रोका गया किंतु वापसी में पुलिस हिरासत में ले लिया गया और यातनाएं दी गईं। उसी दौरान उनका स्वास्थ्य खराब हुआ और उन्हें सही उपचार उपलब्ध नहीं कराया गया तथा कांग्रेस की तत्कालीन सरकार की सहमति से उनकी राजनैतिक हत्या कर दी गई। डा मुखर्जी का दिया गया नारा केवल एक नारे तक सीमित नहीं रहा बल्कि एक उद्घोष बन गया और भारतीय जनता पार्टी के एजेंडे में डा मुखर्जी जी के बलिदान को सार्थक बनाने के लिए धारा 370और 35ए को खत्म कर कश्मीर को भारत का अभिन्न भाग बनाने के प्रण के रूप में सम्मिलित हुआ, उस प्रण को हमारे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी ने पूरा किया और भारत की संसद मे धारा 370 एवं 35ए के विलोपन का बिल पास करा कर कश्मीर को भारत का अभिन्न अंग बनाया। जिलाध्यक्ष ने कहा कि हम सभी भाजपा के कार्यकर्ता नारा लगाते थे कि जहां हुए बलिदान मुखर्जी वो कश्मीर हमारा है, और इस नारे को हमारे प्रधानमंत्री और गृह मंत्री जी ने चरितार्थ कर पितृ पुरुष डा श्यामा प्रसाद मुखर्जी जी को सच्ची श्रद्धांजलि दी है और उनके बलिदान को सार्थक किया है। जिलाध्यक्ष के साथ कार्यक्रम मे मुख्य रूप से जिला महामंत्री लालपति साकेत, जिला मंत्री पूनम गुप्ता, प्रवेंद्र धर द्विवेदी, वरिष्ठ नेता राजेन्द्र द्विवेदी, पूर्व मंडल अध्यक्ष विक्रम सिंह, शारदा शर्मा, संबंधित मंडलों के अध्यक्ष, मंडलों के पदाधिकारी, शक्ति केन्द्र संयोजक एवं बूथों के अध्यक्ष समेत स्थानीय कार्यकर्ताओं की उपस्थिति रही।