"गढ़वाल की पहाड़ियों से बाजार तक: काफल दे रहा युवाओं को रोजगार"।

पौड़ी गढ़वाल(अंकित उनियाल)
काफल फल न केवल स्वादिष्ट और पौष्टिक है, बल्कि ग्रामीण युवाओं के लिए स्वरोजगार का एक सशक्त माध्यम भी बनता जा रहा है। अप्रैल-मई के मौसम में गढ़वाल के जंगलों में भरपूर मात्रा में मिलने वाला काफल, ग्रामीण बच्चों और युवाओं द्वारा एकत्र कर स्थानीय बाजारों में बेचा जाता है। इससे उन्हें आर्थिक लाभ होता है और आत्मनिर्भर बनने का अवसर मिलता है। पौड़ी जैसे क्षेत्रों में इसकी अच्छी मांग देखी जा रही है। विशेषज्ञों का मानना है कि यदि सरकार इस दिशा में पहल करे, तो काफल को संगठित स्वरोजगार के रूप में विकसित किया जा सकता है।
उत्तराखंड की पहाड़ियों का एक अनमोल और दुर्लभ फल है – काफल। यह एक जंगली फल है, जिसका आनंद गर्मियों की शुरुआत में विभिन्न ऊँचाई वाले क्षेत्रों में अलग-अलग समय पर लिया जाता है। काफल न केवल स्वाद में बेहतरीन है, बल्कि इसके औषधीय गुण भी शरीर को लाभ पहुंचाते हैं। लोककथाओं और कहानियों में भी इसका उल्लेख मिलता रहा है। इससे न केवल स्वास्थ्य लाभ होता है, बल्कि जंगलों से इसे एकत्र करने वाले युवाओं को स्वरोजगार का अवसर भी मिलता है। जरूरत है कि सरकार इस पर ध्यान दे और इसे स्थानीय रोजगार के एक मजबूत माध्यम के रूप में विकसित करे।