सीधी बात: सिंगरौली ट्रामा सेंटर बना 'ड्रामा सेंटर', स्वास्थ्य सुविधाओं से लापरवाह जिम्मेदार

निष्पक्ष जाना अवलोकन! सोनू वर्मा! सिंगरौली / एक ओर सरकार स्वास्थ्य सेवाओं को सुदृढ़ करने के दावे करती है, वहीं दूसरी ओर ज़मीनी हकीकत इससे कोसों दूर नज़र आती है। सिंगरौली जिले में लाखों की लागत से बना ट्रामा सेंटर अब 'ड्रामा सेंटर' बनकर रह गया है। यहां न तो आवश्यक स्टाफ मौजूद है, न ही मूलभूत सुविधाएं। ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर यह ट्रामा सेंटर बना क्यों? क्षेत्र की जनता के लिए यह केंद्र किसी वरदान से कम नहीं हो सकता था, लेकिन अफ़सोस कि जिम्मेदार जनप्रतिनिधि और अधिकारी इससे पूरी तरह से लापरवाह दिखते हैं। न समय पर डॉक्टर आते हैं, न ही इमरजेंसी सेवाओं का कोई अता-पता है। ट्रामा सेंटर के निर्माण का उद्देश्य गंभीर दुर्घटनाओं और आपातकालीन स्थितियों में तत्काल इलाज मुहैया कराना था, लेकिन अब यह एक निष्क्रिय ढांचे में तब्दील हो गया है। जनता में इस बात को लेकर रोष है कि क्या स्वास्थ्य सेवाओं की उपेक्षा कर क्षेत्र की आबादी को 'जनसंख्या नियंत्रण' का अप्रत्यक्ष संदेश दिया जा रहा है? क्या लोगों की जान जोखिम में डालकर ही व्यवस्था सुधारी जाएगी? जनता जानना चाहती है कि क्या ट्रामा सेंटर सिर्फ एक औपचारिकता थी? और यदि नहीं, तो फिर लापरवाही के लिए जिम्मेदार कौन है? क्या कभी कोई जवाबदेही तय की जाएगी? अब वक्त है कि शासन-प्रशासन और जनप्रतिनिधि इस गंभीर विषय पर ध्यान दें और ट्रामा सेंटर को उसकी असली भूमिका निभाने लायक बनाएं।