दूधीचुआ महाप्रबंधक की लापरवाही रवैया से कोयला ट्रकों की लंबी कतार बनी आमजन की मुसीबत

निष्पक्ष जान अवलोकन! सोनू वर्मा! सिंगरौली/उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश की सीमा पर स्थित मैत्री द्वार अब सीमावर्ती पहचान से ज्यादा ट्रेलरों की लंबी कतार व जाम के लिए बदनाम होता जा रहा है। इस मार्ग से गुजरने वाले राहगीरों और वाहन चालकों को अब जाम से ‘स्वागत’ की आदत सी हो गई है। यूपी से एमपी जाएं या एमपी से यूपी आएं, मैत्री द्वार पर ट्रकों और ट्रेलरों की लंबी कतारें अब रोज का नजारा बन चुकी हैं। अगर आप शक्तिनगर-जयंती मुख्य मार्ग से गुजर रहे हैं तो दुद्धीचुआ खदान मोड़ पर खड़ी ट्रकों की कतार देख चौंकिएगा मत। ये गाड़ियां कोयला परिवहन के लिए खड़ी होती हैं, जो मुख्य सड़क को ही पार्किंग स्थल बना बैठी हैं। स्थिति ऐसी हो गई है कि लगता है जैसे कोल ट्रांसपोर्टिंग करने वाली कंपनियों ने मुख्य मार्ग पर अतिक्रमण कर लिया हो। हर दिन इस रास्ते से गुजरने वाले एनसीएल के वरिष्ठ अधिकारी, खनन प्रबंधन से जुड़े जिम्मेदार और प्रशासनिक अधिकारी इस गंभीर समस्या को देखकर भी अनदेखा कर रहे हैं। न तो कोई ठोस कार्रवाई होती है और न ही सड़क से अतिक्रमण हटाने की पहल नजर आती है। सबसे गंभीर स्थिति शाम के समय होती है, जब मैत्री द्वार के बगल में स्थित शराब की दुकानों व चखना दुकानों पर नशे में धुत लोग और सड़कों के किनारे खड़ी गाड़ियों से हालात और भी भयावह हो जाते हैं। जाम के झाम में पिस रहा आम आदमी रोजाना मुश्किलें झेल रहा है लेकिन प्रशासन आंख मूंदे बैठा है। स्थानीय नागरिकों की मांग है कि : • मुख्य मार्ग से कोल ट्रांसपोर्टिंग वाहनों की कतार हटाई जाए • अवैध पार्किंग पर सख्त कार्रवाई हो • शाम के समय विशेष निगरानी के लिए पुलिस बल तैनात हो अब देखना यह है कि एनसीएल प्रबंधन व प्रशासन कब तक आंखें बंद रखता है-या फिर किसी बड़ी घटना के बाद ही कुंभकर्णी नींद से जागकर कोई ठोस निर्णय लेगा।