अपर जिला जज एवं विधिक सेवा प्राधिकरण की सचिव ने जिला कारागार का किया सप्ताहिक भ्रमण

अपर जिला जज एवं विधिक सेवा प्राधिकरण की सचिव ने जिला कारागार का किया सप्ताहिक भ्रमण

निष्पक्ष जन अवलोकन।मनीष सिंह जादौन उरई (जालौन)।उ. प्र. राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के निर्देशानुसार अपर जिला जज/सचिव, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण श्रीमती पारुल पँवार ने 22 जुलाई को जिला कारागार उरई का साप्ताहिक भ्रमण एवं विधिक साक्षरता शिविर का आयोजन किया। उन्होंने विभिन्न बैरकों का भ्रमण किया और वहां निरूद्ध बन्दियों से पूछ-तांछ करते हुये उनकी समस्यों को जाना समझा तथा जेल प्रशासन को आवश्यक दिशा-निर्देश दिये। इस मौके पर जेल प्रशासन के अधिकारीगण मौजूद थे।निरीक्षण में अपर जिला जज, सचिव, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण श्रीमती पारुल पँवार ने जिन बन्दियों की जमानत सक्षम न्यायालय से हो चुकी हैं किन्तु जमानतगीर न होने के कारण रिहा नहीं हो पा रहे हैं, उनकी सूची अविलम्ब जिला विधिक सेवा प्राधिकरण जालौन के कार्यालय में प्रेषित किये जाने हेतु जेल प्रशासन को निर्देशित किया, जिससे कि उन बन्दियों के सम्बन्ध में प्रभावी पैरवी कर उन्हे शीघ्रता से कारागार से रिहा करवाया जा सकें एवं जिन बन्दियों की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं हैं उनकी जमानत राज्य की ओर से जिला अधिकार प्राप्त समिति जालौन के माध्यम से करवायी जा सकें। बन्दियों के मुकदमों की पैरवी, उनको दी जाने वाली विधिक सहायता, सलाह और महिला बन्दी व उनके साथ रह रहे बच्चों की चिकित्सा व खान-पान इत्यादि के बारे में जाना-परखा। उन्होंने कई बन्दियों से अलग-अलग जानकारी ली एवं जेल प्रशासन को निर्देशित किया कि कोई भी ऐसा बन्दी जिसका निजी अधिवक्ता न हो अथवा विधिवत् ढंग से न्यायालयों में पैरवी न हो पा रही हो, को विधिक सहायता दिलाये जाने हेतु आवश्यक कार्यवाही सुनिश्चित करें। यदि किसी विचाराधीन बन्दी को पैरवी हेतु सरकारी खर्चे पर अधिवक्ता की आवश्यकता हो तो सम्बन्धित न्यायालय में बन्दी की ओर से प्रार्थनापत्र दिलवाया जाना सुनिश्चित करें ताकि एमाइकस क्यूरी (न्यायमित्र) की सुविधा उपलब्ध हो।इसके उपरान्त विधिक साक्षरता शिविर की अध्यक्षता करते हुये सचिव/अपर जिला जज श्रीमती पारुल पँवार ने शिविर का शुभारम्भ किया। इसके उपरान्त असिस्टेंट-प्रथम, लीगल एड डिफेन्स काउन्सिल सिस्टम अभिषेक पाठक ने बताया कि प्ली बार्गेन, जिसे प्ली एग्रीमेंट या प्ली डील भी कहा जाता है, आपराधिक कानून में एक कानूनी व्यवस्था है जहाँ प्रतिवादी अभियोजक से रियायतों के बदले में किसी आरोप में दोषी होने या कोई प्रतिवाद न करने के लिए सहमत होता है। इन रियायतों में आरोपों की गंभीरता में कमी, कुछ आरोपों को खारिज करना, या अधिक उदार सजा की सिफारिश शामिल हो सकती है। इसे दुनिया भर की अन्य कानूनी प्रणालियों में विभिन्न रूपों में अपनाया गया है। इस शिविर में असिस्टेंट-द्वितीय प्रतीक सिंह सहित दर्जनों बन्दीगण उपस्थित रहें। इस अवसर पर जेल अधीक्षक नीरज देव, कारापाल श्री प्रदीप कुमार, चिकित्साधिकारी डॉ. राहुल बर्मन, उपकारापाल अमर सिंह तथा जिला विधिक सेवा प्राधिकरण जालौन के लिपिक शुभम् शुक्ला उपस्थित रहे।