महिला परामर्श केंद्र ने 7 परिवारों को टूटने से बचाया, आपसी सुलह से लौटाई पारिवारिक खुशियाँ

महिला परामर्श केंद्र ने 7 परिवारों को टूटने से बचाया, आपसी सुलह से लौटाई पारिवारिक खुशियाँ

निष्पक्ष जन अवलोकन। मनीष सिंह जादौन उरई(जालौन)। जनपद मुख्यालय स्थित महिला परिवार परामर्श केंद्र, उरई में वैवाहिक जीवन में उत्पन्न होने वाले विवादों को सुलझाने का क्रम लगातार जारी है। शनिवार को परामर्श केंद्र की टीम ने कुल 7 परिवारों को टूटने से बचाने में सफलता प्राप्त की, जो वैचारिक मतभेद एवं आपसी अनबन के कारण विघटन की कगार पर पहुँच चुके थे।इन मामलों में महिला पुलिस अधिकारी व नामित परामर्शदाता सदस्यों की उपस्थिति में दोनों पक्षों—पति-पत्नी व उनके परिजनों—के बीच संवाद स्थापित किया गया। संवाद के दौरान परिवारों के बीच मौजूद मतभेदों को शांति एवं संवेदनशीलता के साथ समझते हुए परामर्श एवं काउंसलिंग की गई।केंद्र में आए अधिकांश दंपत्तियों के बीच छोटी-छोटी बातों को लेकर मनमुटाव, आपसी अविश्वास, संचार की कमी एवं सामाजिक दबाव जैसी समस्याएं प्रमुख थीं। टीम ने दोनों पक्षों को शांतिपूर्वक सुना और आपसी सम्मान व समझदारी से जीवन जीने का मार्ग सुझाया काउंसलिंग के बाद सभी दंपत्तियों ने यह स्वीकार किया कि भविष्य में वे किसी भी बात को तूल नहीं देंगे और आपसी संवाद एवं सामंजस्य बनाए रखते हुए परिवार को प्रेमपूर्वक चलाएंगे। पति-पत्नी ने परस्पर विश्वास की पुनर्स्थापना करते हुए मिलकर रहने का संकल्प लियापरामर्श केंद्र की प्रभारी अधिकारी ने बताया कि हमारा उद्देश्य केवल मामलों का निपटारा करना नहीं, बल्कि पारिवारिक रिश्तों को जोड़ना है। हर परिवार की एक अलग परिस्थिति होती है, इसलिए हम संवाद और सहमति के आधार पर समाधान की राह निकालते हैं।”केंद्र में मौजूद परामर्शदाताओं ने दंपत्तियों को सलाह दी कि वे गुस्से में कोई निर्णय न लें, बच्चों के हित में सोचें और परिवार को प्राथमिकता दें। उन्हें कानूनी एवं सामाजिक पहलुओं से भी अवगत कराया गया ताकि भविष्य में कोई विवाद पुनः न हो।परामर्श केंद्र की यह पहल सामाजिक दृष्टिकोण से अत्यंत महत्वपूर्ण मानी जा रही है, जहां पुलिस प्रशासन, सामाजिक संगठन और मनोवैज्ञानिक सहयोग से लोगों को राहत मिल रही है।समाज में बढ़ते वैवाहिक तनावों और तलाक के मामलों के बीच उरई का यह केंद्र आशा की किरण बनकर उभरा है, जो न केवल परिवारों को टूटने से बचा रहा है, बल्कि सामाजिक सौहार्द और पारिवारिक मूल्यों की पुनर्स्थापना में अहम भूमिका निभा रहा है।