"श्रीनगर गढ़वाल के मुकुल बंगवाल ने रचा इतिहास – 22 वर्ष की उम्र में फतेह किया माउंट एवरेस्ट"।

"श्रीनगर गढ़वाल के मुकुल बंगवाल ने रचा इतिहास – 22 वर्ष की उम्र में फतेह किया माउंट एवरेस्ट"।

श्रीनगर गढ़वाल(अंकित उनियाल)

उत्तराखंड की पुण्य भूमि एक बार फिर गौरवान्वित हुई है। श्रीनगर गढ़वाल के युवा मुकुल बंगवाल ने मात्र 22 वर्ष की आयु में विश्व की सबसे ऊँची चोटी माउंट एवरेस्ट फतेह कर न सिर्फ देवभूमि उत्तराखंड बल्कि संपूर्ण भारतवर्ष का नाम रोशन किया है।

कर्नल अमित बिष्ट के नेतृत्व में चलाए गए इस रोमांचक और चुनौतीपूर्ण अभियान में मुकुल ने अपनी साहसिकता, दृढ़ निश्चय और अदम्य साहस का परिचय दिया। खास बात यह रही कि मुकुल ने एनसीसी कैडेट के रूप में एवरेस्ट की चोटी पर पहुंचकर वहाँ NCC का ध्वज लहराया, जो देश के युवाओं के लिए एक बड़ी प्रेरणा है।

चार उत्तराखंड कंपनी एनसीसी पौड़ी गढ़वाल से जुड़े मुकुल का यह अभियान न केवल सैन्य अनुशासन और नेतृत्व क्षमता का प्रतीक है, बल्कि यह दर्शाता है कि यदि संकल्प अटल हो तो कोई भी शिखर दूर नहीं।

मुकुल श्रीनगर गढ़वाल के धारी देवी, कलियासौड़ क्षेत्र के निवासी हैं। उनके पिता दुर्गा प्रसाद बंगवाल, माता रजनी देवी और बहन मानसी बंगवाल आज इस अभूतपूर्व उपलब्धि पर गौरवान्वित हैं।

मुकुल वर्तमान में गढ़वाल विश्वविद्यालय से बीएससी तृतीय वर्ष के छात्र हैं, और पढ़ाई के साथ-साथ पर्वतारोहण जैसी कठिन चुनौती को सफलतापूर्वक पूरा करना उनकी लगन और मेहनत का प्रतीक है।

उत्तराखंड के इस सपूत ने यह सिद्ध कर दिया है कि यदि जज़्बा हो, तो कोई भी शिखर नामुमकिन नहीं होता। मुकुल की यह ऐतिहासिक उपलब्धि आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा बनकर रहेगी।