ग्राम पंचायत जनकपुर में मनरेगा घोटाला जारी

ग्राम पंचायत जनकपुर में मनरेगा घोटाला जारी

निष्पक्ष जन अवलोकन। बलरामपुर, विकासखंड गैसड़ी | जनपद बलरामपुर के अंतर्गत आने वाली ग्राम पंचायत जनकपुर में मनरेगा योजना में व्यापक फर्जीवाड़ा और घोटाले का मामला एक बार फिर उजागर हुआ है। निष्पक्ष जन अवलोकन में 13 मई को इस विषय पर प्रकाशित खबर के बाद भी जिला प्रशासन ने कोई सख्त कार्रवाई नहीं की, जिससे स्थानीय लोगों में रोष व्याप्त है। खबर के अनुसार, पंचायत में आज भी करीब 10 ऐसे लोग "मास्टर रोल" में दर्ज हैं, जो वास्तव में कार्यस्थल पर उपस्थित नहीं होते, लेकिन उनकी 94 हाजिरी प्रतिदिन ऑनलाइन अटेंडेंस में दर्ज हो रही है स्थानीय ग्रामीणों और सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, मनरेगा योजना के अंतर्गत मजदूरों की फर्जी हाजिरी लगाकर भुगतान किया जा रहा है। यह सारा खेल पंचायत सचिव, तकनीकी सहायक, ग्राम प्रधान और ठेकेदारों की मिलीभगत से चल रहा है। मनरेगा के तहत जिन मजदूरों के नाम पर भुगतान किया गया, उनमें से अनेक लोगों ने स्वीकार किया है कि उन्होंने महीनों से कोई कार्य नहीं किया, फिर भी उनके खातों में कुछ धनराशि आई, जिसमें से अधिकांश रकम उनसे निकाल कर वापस ले ली गई अधिकारियों की निष्क्रियता और भ्रष्टाचार सबसे चिंताजनक बात यह है कि यह पूरा घोटाला उच्च अधिकारियों के संज्ञान में होने के बावजूद भी निरंतर जारी है। आरोप है कि जिलाधिकारी स्तर के अधिकारी खुद इस घोटाले में हिस्सेदार हैं। क्षेत्रीय सूत्रों के अनुसार, जिलाधिकारी मनरेगा योजनाओं में मिलने वाली मजदूरी से 3% कमीशन लेते हैं। इस वजह से न तो जांच होती है और न ही दोषियों पर कोई कार्यवाही की जाती है। इस भ्रष्ट व्यवस्था ने योजनाओं का उद्देश्य ही समाप्त कर दिया है। ग्रामीणों का कहना है कि जिन योजनाओं के जरिए गांवों में विकास और गरीबों को रोजगार देने की मंशा थी, वहीं अब भ्रष्टाचार का अड्डा बन गई हैं। जनकपुर में बन रहे तालाब, नाली, खड़ंजा, और शौचालय निर्माण जैसे कार्यों में भारी गड़बड़ी है। काम कागजों पर दिखाया जाता है जबकि जमीनी हकीकत कुछ और ही है। कई स्थलों पर काम अधूरा पड़ा है, और जहां काम हुआ भी है, वहां गुणवत्ता का घोर अभाव है ऑनलाइन अटेंडेंस बना घोटाले का हथियार मनरेगा योजना में पारदर्शिता लाने के उद्देश्य से शुरू की गई ऑनलाइन अटेंडेंस प्रणाली भी अब भ्रष्टाचार का हथियार बन गई है। जनकपुर पंचायत में देखा गया है कि जो मजदूर महीने भर में कभी कार्यस्थल पर दिखे ही नहीं, उनकी भी अटेंडेंस लगातार अपडेट की जा रही है। जब उनसे पूछा गया कि क्या वे कार्यस्थल पर उपस्थित थे, तो उन्होंने साफ इंकार कर दिया और बताया कि कभी-कभी कार्ड मांगकर ठेकेदार ले जाता है और कुछ पैसे उनके खाते में भेजकर उनसे निकलवा लेता है निष्पक्ष जन अवलोकन की खबर का हुआ कोई असर नहीं 13 मई को 'निष्पक्ष जन अवलोकन' समाचार पत्र ने इस विषय पर विस्तृत रिपोर्ट प्रकाशित की थी, जिसमें सभी फर्जीवाड़ों को विस्तार से उजागर किया गया था। खबर के बाद उम्मीद की जा रही थी कि जिला प्रशासन हरकत में आएगा और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करेगा। लेकिन समाचार प्रकाशित हुए लगभग तीन सप्ताह बीतने के बावजूद स्थिति जस की तस बनी हुई है स्थानीय नागरिकों ने आरोप लगाया है कि जन प्रतिनिधियों से लेकर उच्च स्तर तक भ्रष्टाचार की जड़ें फैली हुई हैं, जिससे न तो शिकायतों पर कोई संज्ञान लिया जा रहा है और न ही मीडिया रिपोर्ट्स का असर दिख रहा है जिलाधिकारी पर भी लगे गंभीर आरोप जिलाधिकारी बलरामपुर पर लगे हैं। आरोप है कि वह विकास कार्यों में कमीशन की खुली मांग करते हैं और बिना उनकी सहमति के कोई अधिकारी जांच शुरू करने की हिम्मत नहीं करता। मनरेगा जैसी महत्वपूर्ण योजना में भी मजदूरों से कमीशन लिए जाने की बात सामने आई है, जो प्रशासन के गिरते नैतिक स्तर को दर्शाता है जनता अब इस पूरे प्रकरण की उच्च स्तरीय जांच की मांग कर रही है। ग्रामीणों का कहना है कि यदि शीघ्र ही निष्पक्ष जांच नहीं की गई और दोषियों पर कार्यवाही नहीं हुई, तो वे आंदोलन करेंगे और जनपद कार्यालय का घेराव भी करेंगे उन्होंने प्रदेश के मुख्यमंत्री और लोकायुक्त से इस मामले का संज्ञान लेने की अपील की है। साथ ही यह मांग की है कि मनरेगा में हो रही फर्जीवाड़े की सीबीआई या विशेष जांच एजेंसी से निष्पक्ष जांच कराई जाए, ताकि गरीब मजदूरों को उनका हक मिल सके और ग्राम पंचायतों में पारदर्शिता आ सके। जनकपुर पंचायत में मनरेगा के नाम पर जो फर्जीवाड़ा हो रहा है, वह सिर्फ एक गांव की कहानी नहीं है, बल्कि यह उस तंत्र की तस्वीर है जो योजनाओं को लूटने का जरिया बन चुका है। अगर अब भी शासन-प्रशासन जागरूक नहीं हुआ और भ्रष्टाचार पर अंकुश नहीं लगाया गया, तो न केवल सरकार की योजनाओं की साख गिरेगी, बल्कि गरीबों का भरोसा भी टूट जाएगा यह मामला केवल खबर नहीं, एक जन आंदोलन का आधार बन सकता है – बशर्ते जनता एकजुट होकर अपना अधिकार मांगे और व्यवस्था से जवाब तलब करे।