मनरेगा में नहीं मिल रहा है रोजगार गरीबों की आंखों में रोजगा की आस थी अब आंसू

निष्पक्ष जन अवलोकन। बदरूजमा चौधरी। बलरामपुर जनपद के पचपेड़वा विकास खंड के सिसहनिया व घोपलापुर गांवों में विकास के दावे खोखले साबित हो रहे हैं। गांववासी आज भी मूलभूत सुविधाओं से वंचित हैं। मनरेगा जैसी महत्वाकांक्षी योजना गांव तक तो पहुंची, लेकिन रोजगार नहीं। घोपलापुर गांव में मजदूरों को महीने भर से काम नहीं मिला। पात्र मजदूरों को जॉब कार्ड होने के बावजूद काम के लिए भटकना पड़ रहा है। अफसरों की लापरवाही और ग्राम प्रधान की अनदेखी से हालात बदतर हो गए हैं। गरीबों की आंखों में रोजगार की आस थी, अब आंसू हैं। बुजुर्ग रामू यादव कहते हैं, “अब तो खेत भी सूख गए हैं, मजदूरी न मिले तो घर कैसे चलेगा?” गांव में काम न मिलने से लोग पलायन को मजबूर हो रहे हैं। सरकारी आंकड़े भले ही विकास का ढोल पीट रहे हों, लेकिन जमीनी हकीकत थप्पड़ की तरह चुभ रही है। प्रशासन अगर समय रहते नहीं चेता, तो ये आंसू कभी सूखने वाले नहीं।