मनरेगा में खुला बड़ा भ्रष्टाचार अचकवापुर ग्राम पंचायत में एक ही फोटो से 15 मास्टर रोल 142 मजदूरों के नाम पर हेरा फेरी

निष्पक्ष जन अवलोकन। पचपेड़वा, बलरामपुर: जनपद बलरामपुर के पचपेड़वा विकासखंड अंतर्गत ग्राम पंचायत अचकवापुर में मनरेगा योजना के तहत बड़ा भ्रष्टाचार सामने आया है। यह खुलासा तब हुआ जब मजदूरों के मास्टर रोल और ऑनलाइन उपस्थिति की जांच की गई। जांच में यह सामने आया कि 142 मजदूरों के नाम पर भुगतान दर्शाया गया, जबकि उनकी उपस्थिति और काम करने की वास्तविकता सवालों के घेरे में है। हैरानी की बात यह है कि 15 मास्टर रोल पर एक ही मजदूर की फोटो चस्पा की गई है, जिससे पूरे सिस्टम पर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, एक ही मजदूर की फोटो का उपयोग कर 15 अलग-अलग मास्टर रोल तैयार किए गए हैं, जिन पर मजदूरी का भुगतान दर्शाया गया है। इसके अलावा, इन फर्जी दस्तावेजों के आधार पर मजदूरों की ऑनलाइन उपस्थिति भी दर्शाई गई है। पूरे प्रकरण में लगभग 142 लेबर की उपस्थिति दिखाई गई है, जिनमें से अधिकांश कभी कार्यस्थल पर पहुंचे ही नहीं। यह सब ग्राम पंचायत स्तर पर योजना और निगरानी में लगे जिम्मेदार अधिकारियों की मिलीभगत से हुआ प्रतीत होता है। इस भ्रष्टाचार की सूचना मिलने के बाद 5 दिन पहले एक स्थानीय समाचार पत्र में खबर भी प्रकाशित हुई थी, लेकिन इसके बावजूद प्रशासनिक अधिकारियों के कानों तक जूं तक नहीं रेंगी। अब तक न तो कोई जांच टीम मौके पर भेजी गई, न ही संबंधित पंचायत सचिव, रोजगार सेवक या ग्राम प्रधान के खिलाफ कोई ठोस कार्रवाई की गई है। गांव के जागरूक नागरिकों का कहना है कि यह कोई पहली बार नहीं है जब मनरेगा में इस तरह की अनियमितताएं सामने आई हैं। पूर्व में भी कई बार फर्जी हाजिरी और बिना काम के भुगतान के आरोप लगे हैं, लेकिन हर बार मामले को रफा-दफा कर दिया जाता है। इस बार भी अगर प्रशासन ने समय रहते सख्त कार्रवाई नहीं की, तो भ्रष्टाचारियों के हौसले और बढ़ेंगे और मनरेगा जैसी जनकल्याणकारी योजना का उद्देश्य पूरी तरह से धूमिल हो जाएगा। विकासखंड पचपेड़वा के ग्रामीणों में इस भ्रष्टाचार को लेकर भारी आक्रोश है। उनका कहना है कि जब आम मजदूरों को हफ्तों तक काम नहीं मिलता, तब फर्जी हाजिरी बनाकर सरकारी धन की लूट किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं की जाएगी। ग्रामीणों ने जिलाधिकारी बलरामपुर से मांग की है कि इस मामले में तत्काल उच्चस्तरीय जांच कराकर दोषियों के खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई की जाए और मनरेगा योजना को पारदर्शी तरीके से लागू किया जाए। यदि यह मामला यूं ही दबा दिया गया, तो यह प्रशासन की नाकामी और भ्रष्ट तंत्र की जीत होगी। ऐसे मामलों पर चुप्पी अब असहनीय हो चुकी है। जनता जवाब चाहती है और न्याय की मांग करती है।