हेमवती नंदन बहुगुणा केंद्रीय विश्वविद्यालय में महिला कर्मचारियों के साथ दुर्व्यवहार का मामला गरमाया, जनसंगठनों ने की कुलपति से निष्पक्ष जांच की मांग।

हेमवती नंदन बहुगुणा केंद्रीय विश्वविद्यालय में महिला कर्मचारियों के साथ दुर्व्यवहार का मामला गरमाया, जनसंगठनों ने की कुलपति से निष्पक्ष जांच की मांग।

श्रीनगर गढ़वाल(अंकित उनियाल)

हेमवती नंदन बहुगुणा केंद्रीय विश्वविद्यालय के पत्रकारिता एवं जनसंचार केंद्र में महिला कर्मियों के साथ हो रहे मानसिक उत्पीड़न, दुर्व्यवहार और शोषण के मामले ने तूल पकड़ लिया है। उत्तराखंड के विभिन्न जन संगठनों और सामाजिक आंदोलनों ने इस गंभीर प्रकरण पर गहरी चिंता व्यक्त की है और विश्वविद्यालय प्रशासन से त्वरित व निष्पक्ष कार्रवाई की मांग की है।

प्राप्त जानकारी के अनुसार केंद्र में कार्यरत डॉ. अमिता और डॉ. अरुणा रौधान ने लंबे समय से चल रहे उत्पीड़न की शिकायतें पहले मौखिक और फिर लिखित रूप से विश्वविद्यालय प्रशासन और कुलपति महोदय को दी थीं। आरोप है कि यह शिकायतें अनसुनी कर दी गईं और मामले को गंभीरता से नहीं लिया गया। जब मामला आंतरिक शिकायत समिति तक पहुँचा, तब भी सिर्फ औपचारिकता निभाई गई और वास्तविक न्याय की पहल नहीं की गई।महिला कर्मियों ने पत्रकारिता विभाग के एक वरिष्ठ शिक्षक डॉ. सुधांशु जायसवाल पर गंभीर मानसिक उत्पीड़न और अपमानजनक व्यवहार के आरोप लगाए हैं। जन संगठनों का आरोप है कि यह कोई पहली घटना नहीं है, बल्कि डॉ. जायसवाल पूर्व में भी इस प्रकार की घटनाओं में संलिप्त रहे हैं, बावजूद इसके, उनके विरुद्ध अब तक कोई सख्त कार्रवाई नहीं की गई है।

जन संगठनों का कहना है कि:

 “किसी भी महिला के साथ कार्यस्थल पर इस प्रकार का व्यवहार न केवल मानवीय गरिमा का उल्लंघन है, बल्कि यह भारत सरकार द्वारा निर्धारित महिला संरक्षण अधिनियमों की भी अवहेलना है। यदि विश्वविद्यालय प्रशासन इस मामले में निष्क्रिय रहा तो यह उत्तराखंड की शिक्षा और समाज दोनों के लिए शर्मनाक स्थिति होगी।”सभी जनसंगठनों ने कुलपति से यह मांग की है कि प्रकरण की निष्पक्ष जांच की जाए, डॉ. सुधांशु जायसवाल को पद से हटाकर न्यायिक प्रक्रिया अपनाई जाए और जो अन्य शिक्षक इस साजिश में संलिप्त हैं, उनके विरुद्ध भी कार्यवाही हो संयुक्त जनसंगठनों ने चेताया है कि यदि पीड़िताओं को न्याय नहीं मिला, तो वे संवाद और संघर्ष के माध्यम से इस मुद्दे को राज्य स्तर तक उठाएंगे और ज़रूरत पड़ी तो राष्ट्रीय फोरम तक भी पहुँचाएंगे।