यूरिया संकट से किसान बेहाल — कालाबाजारी और सीमा पार तस्करी ने बढ़ाई परेशानी

जनपद बलरामपुर, विकासखंडपचपेड़वा में इन दिनोंयूरिया खाद की भारी किल्लत ने किसानों की नींद छीन ली है। खेतों में खड़ी फसलें भूख से तड़प रही हैं, जबकि किसान सुबह से लेकर देर रात तक यूरिया की तलाश में दर-दर भटक रहे हैं। सूत्रों के मुताबिक, ग्राम पंचायत हरिया और चंदौसी में देर रात 2 बजे तक यूरिया लेने के लिए लंबी कतारें लगती हैं। किसानों का कहना है कि सरकारी दुकानों पर यूरिया मिलना मुश्किल है, जबकि प्राइवेट दुकानों पर यह ऊंचे दामों पर खुलेआम बिक रहा है। गैसड़ी में विनय कुमार पांडे के यहां यूरिया 450 रुपये में, तो बरगदवा की प्राइवेट दुकान पर 500 रुपये प्रति बोरी के हिसाब से बेचा जा रहा है। किसानों का आरोप है कि जिनके पास ज्यादा पैसे हैं, वही आसानी से यूरिया हासिल कर लेते हैं, जबकि गरीब किसान घंटों लाइन में लगने के बाद भी खाली हाथ लौटते हैं। कई स्थानों पर यह भी चर्चा है कि सीमा से सटे होने के कारण यूरिया की बड़ी मात्रा नेपाल भेजी जा रही है, जबकि नेपाल में यूरिया का उत्पादन ही नहीं होता। रात के अंधेरे में ट्रकों और पिकअप से यूरिया की ढुलाई होने की बात भी ग्रामीणों के बीच चर्चा का विषय बनी हुई है। कृषि अधिकारियों से इस बारे में फोन पर संपर्क करने की कोशिश की गई, लेकिन उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया। इस संकट ने किसानों के सामने दोहरी मार खड़ी कर दी है—एक तरफ महंगी और दुर्लभ हो चुकी खाद, दूसरी तरफ समय पर पोषण न मिलने से सूखती फसलें। प्रशासन के लिए यह स्थिति चेतावनी है कि यदि तत्काल और सख्त कदम नहीं उठाए गए, तो आने वाले दिनों में हालात और बिगड़ सकते हैं।