पचपेड़वा विकासखंड में गौशाला की बदतर हालत, जिम्मेदार बने लापरवाह – गरीब गोवंश तड़पते, सचिव का गैरजिम्मेदाराना बयान

निष्पक्ष जन अवलोकन। जनपद बलरामपुर विकासखंड पचपेड़वा अंतर्गत ग्राम पंचायत जोगिहवा इमिलिया करोड़ स्थित गौशाला की स्थिति दिनों-दिन बदतर होती जा रही है। सरकार द्वारा करोड़ों की लागत से गौशाला संचालित करने का उद्देश्य भूखे, लावारिस और बीमार गोवंश को सुरक्षित आश्रय देना था, लेकिन हकीकत जमीनी स्तर पर इससे बिल्कुल उलट है। गौशाला के अंदर जाने पर स्थिति देखकर किसी का भी दिल पसीज जाए। भूसे और चारे के अभाव में गायें और बछड़े तड़प-तड़प कर दम तोड़ रहे हैं। पानी की उचित व्यवस्था नहीं है, बीमार गोवंश की देखभाल के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति हो रही है। ग्रामवासियों ने संवाददाता को बताया कि कई बार संबंधित अधिकारियों और सचिव से शिकायत की गई, मगर हालात जस के तस बने हुए हैं। गौशाला में साफ-सफाई का अभाव है, गोवंश खुले आकाश के नीचे बदहाल हालत में पड़े रहते हैं। बरसात में कीचड़ और गंदगी से स्थिति और दयनीय हो जाती है। जब संवाददाता ने इस विषय पर ग्राम पंचायत सचिव हरेंद्र प्रताप सिंह से फोन पर बातचीत करनी चाही तो उनका रवैया बेहद गैरजिम्मेदाराना रहा। उन्होंने साफ-साफ कहा – “फोन मत करना, हमारी असरदार है।” यह बयान उनकी लापरवाही और जवाबदेही से मुंह मोड़ने की मानसिकता को दर्शाता है। जिस पद पर बैठकर उन्हें जिम्मेदारी निभानी चाहिए, वही व्यक्ति गोवंश की पीड़ा और ग्रामीणों की चिंता को नजरअंदाज कर रहा है। स्थानीय लोगों का कहना है कि अगर प्रशासन समय रहते कदम नहीं उठाएगा तो यह गौशाला धीरे-धीरे गोवंश की कब्रगाह बन जाएगी। ग्रामीणों ने मांग की है कि उच्चाधिकारियों को तत्काल मौके पर पहुंचकर स्थिति का संज्ञान लेना चाहिए और दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए। यह सवाल अब उठता है कि जब सरकार हर साल गौशालाओं पर मोटा बजट जारी कर रही है, तो आखिर वह पैसा कहां जा रहा है? क्यों गोवंश अभी भी भूखे-प्यासे तड़पने को मजबूर हैं? यह सिर्फ बदइंतजामी नहीं बल्कि गरीब, बेजुबान जानवरों के साथ क्रूरता है। प्रशासन को चाहिए कि बिना देर किए जिम्मेदारों पर शिकंजा कसते हुए गौशाला की व्यवस्था सुधारी जाए, ताकि इन बेजुबान प्राणियों को राहत मिल सके।