जुलाई से शुरू हो सत्र: गर्मी से राहत, पढ़ाई में सुधार की उम्मीद

शिक्षकों, छात्रों, अभिभावकों और विशेषज्ञों ने की पुरानी व्यवस्था बहाल करने की मांग
निष्पक्ष जन अवलोकन।
रामेश्वर विश्वकर्मा रुद्रपुरी।
रूद्रपुर देवरिया। शिक्षा सत्र की शुरुआत पुनः जुलाई से करने की मांग तेजी से जोर पकड़ रही है। शिक्षकों, छात्रों, अभिभावकों और शिक्षा विशेषज्ञों का कहना है कि वर्तमान में अप्रैल-मई-जून की भीषण गर्मी में नई कक्षाओं की शुरुआत से बच्चों की पढ़ाई और स्वास्थ्य, दोनों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है। फरवरी-मार्च में बोर्ड परीक्षाएं समाप्त होते ही मार्च-अप्रैल का समय, जो अध्ययन के लिए सर्वाधिक उपयुक्त होता है, व्यर्थ चला जाता है। फिर मई के अंत तक स्कूल चलते हैं, जिसके बाद 20 मई से 15 जून तक ग्रीष्मकालीन अवकाश रहता है। 16 जून को विद्यालय पुनः खुलते हैं, जबकि तापमान चरम पर होता है। ऐसे में पढ़ाई के लिए अनुकूल वातावरण नहीं बन पाता। इसके विपरीत जुलाई से सत्र शुरू होने पर गर्मी कम हो जाती है और शिक्षक बेहतर योजना के साथ पढ़ाई करा पाते थे। वर्तमान प्रणाली में मानसून जुलाई-अगस्त और शीतकाल दिसंबर-जनवरी की छुट्टियों के कारण पठन-पाठन का वास्तविक समय 5-6 माह तक ही सीमित रह जाता है। शिक्षाविदों और प्रबंधकों की राय- पूर्वांचल विद्यालय परिषद के सचिव एवं प्रत्युष विहार रूद्रपुर के संचालक राणा प्रताप सिंह का कहना है कि गर्मी में स्कूल चलाना बच्चों के स्वास्थ्य के लिए खतरे जैसा है। जून की भीषण गर्मी में उपस्थिति घटती है, जिससे पढ़ाई प्रभावित होती है। डॉ. रविकान्त मणि त्रिपाठी संचालक – चैतन्य एकेडमी देवरिया ने कहा, जुलाई से सत्र आरंभ होने पर शिक्षण की गुणवत्ता बेहतर होती थी। वर्तमान व्यवस्था में न समय मिलता है, न सही माहौल। डॉ. गोस्वामी गौरव भारती, राष्ट्रीय अध्यक्ष – राष्ट्रीय विद्यालय प्रबंधक संघ ने कहा, हमारे क्षेत्र में कई बच्चे गर्मी के कारण बीमार पड़ते हैं। जुलाई से सत्र प्रारंभ होने पर उन्हें तैयारी का समय और अनुकूल मौसम, दोनों मिलते हैं। संजय कुमार यादव, संचालक – बुद्धा सेंट्रल एकेडमी ने चिंता जताई कि छात्रों को न समुचित अवकाश मिल रहा है, न सही समय पर पढ़ाई शुरू हो रही है, जिससे उनका मानसिक और शारीरिक तनाव बढ़ रहा है। न्यायिक दृष्टिकोण: रूद्रपुर तहसील के वरिष्ठ अधिवक्ता नागेन्द्र राव ने कहा कि गर्मी में स्कूल संचालन बच्चों के मौलिक अधिकार – स्वास्थ्य और शिक्षा – दोनों का उल्लंघन है। सरकार को इस दिशा में शीघ्र निर्णय लेना चाहिए। बलराम यादव प्रदेश मंत्री – राविप्रसं ने कहा, पुराने सत्र में पढ़ाई का प्रवाह और बच्चों की मानसिक स्थिति दोनों बेहतर थीं। वर्तमान प्रणाली किसी के हित में नहीं है।एड0 मनीष श्रीवास्तव प्रदेश विधिक सलाहकार ने कहा कि जुलाई-जून वाला शैक्षणिक सत्र छात्रों के बौद्धिक व शारीरिक विकास के लिए श्रेष्ठ है। वर्तमान प्रणाली शिक्षा की आत्मा के विपरीत है। डॉ. अंजू सिंह प्रदेश संगठन मंत्री – राविप्रसं ने कहा, बच्चों की मानसिक क्षमता, मौसम और शिक्षण गुणवत्ता – इन सबमें संतुलन जुलाई सत्र से ही संभव है। अन्य प्रतिक्रियाएं: आर.आर. पब्लिक स्कूल के संचालक योगेश द्विवेदी ने बताया कि भीषण गर्मी में बच्चों की उपस्थिति लगातार घट रही है, जिससे शिक्षा की गुणवत्ता गिर रही है। कुशीनगर के जिलाध्यक्ष शेषनाथ सिंह ने प्रशासन से मांग की है कि जुलाई से सत्र शुरू करने की पुरानी प्रक्रिया को तत्काल बहाल किया जाए। निष्कर्षतः वर्तमान समय में शैक्षिक सत्र को पुनः जुलाई से शुरू करने की मांग व्यापक जनसमर्थन प्राप्त कर चुकी है। इससे न केवल गर्मी से राहत मिलेगी, बल्कि बच्चों की पढ़ाई में गुणवत्ता और स्थायित्व भी सुनिश्चित किया जा सकेगा।