मनरेगा में खुला भ्रष्टाचार का बड़ा खेल 12 मास्टर रोल 114 मजदूरों की हाजिरी लेकिन मौके पर एक भी नहीं

गैसड़ी बलरामपुर निष्पक्ष जन अवलोकन। बदरूजमा चौधरी। गैसड़ी बलरामपुर महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा), जिसे ग्रामीण भारत की रीढ़ कहा जाता है, आज भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ती नजर आ रही है। बलरामपुर जनपद के गैसड़ी विकासखंड अंतर्गत जनकपुर गांव में मनरेगा के नाम पर सरकारी धन की खुली लूट का मामला सामने आया है। जांच में सामने आया है कि एक ही कार्य स्थल पर 12 अलग-अलग मास्टर रोल तैयार कर, 114 मजदूरों की उपस्थिति दर्ज की गई, लेकिन मौके पर एक भी मजदूर दिखाई नहीं दिया। यह स्थिति न केवल सरकारी नियमों और मनरेगा की आत्मा का अपमान है, बल्कि गरीब मजदूरों के हक पर सीधा डाका है। सूत्रों के अनुसार, यह कार्य फर्जी हाजिरी लगाकर मनरेगा फंड से पैसे निकालने की एक सुनियोजित साजिश का हिस्सा है, जिसमें ग्राम पंचायत, ग्राम रोजगार सेवक, तकनीकी सहायक और जिम्मेदार अधिकारियों की भूमिका संदिग्ध मानी जा रही है। स्थानीय लोगों ने बताया कि इस स्थल पर न तो कोई मजदूर काम करता दिखाई दिया, और न ही वहां किसी प्रकार का कार्य प्रगति पर है। बावजूद इसके, 12 अलग-अलग मास्टर रोलों पर नियमित रूप से 114लोगों की उपस्थिति दर्शाई गई है। जब मीडिया ने इस घोटाले की पड़ताल की, तो ग्राम प्रधान और संबंधित अधिकारियों ने या तो जवाब देने से इनकार कर दिया या गोलमोल उत्तर देकर पल्ला झाड़ लिया। एक ग्रामीण रामजस ने कहा, "हमारे जैसे लोगों को मनरेगा में कभी काम नहीं मिलता, लेकिन हर साल किसी और के नाम पर भुगतान हो जाता है। हम पूछते हैं तो हमें धमकाया जाता है।" मनरेगा जैसे योजना, जिसका मकसद गांवों में बेरोजगारों को रोजगार देना है, वहां इस प्रकार का भ्रष्टाचार सामाजिक अपराध से कम नहीं। यह न केवल सरकारी धन की बर्बादी है, बल्कि हजारों गरीब परिवारों की उम्मीदों का गला घोंटना है। विशेषज्ञों का कहना है कि जब तक ऐसी गतिविधियों की निष्पक्ष जांच नहीं होगी और दोषियों पर कड़ी कार्यवाही नहीं होगी, तब तक इस प्रकार की लूट जारी रहेगी। प्रशासन अगर सच में मनरेगा को सफल बनाना चाहता है, तो उसे कागजों की दुनिया से निकलकर जमीनी हकीकत की जांच करनी होगी। यह मामला जांच का नहीं, एफआईआर और गिरफ्तारी का है। ग्रामीणों ने जिला अधिकारी, मुख्य विकास अधिकारी और उच्च स्तरीय सतर्कता एजेंसियों से मांग की है कि इस घोटाले की तत्काल जांच कर दोषियों के खिलाफ दण्डात्मक कार्रवाई की जाए और मजदूरों के अधिकारों की रक्षा की जाए। यदि अब भी सरकार और प्रशासन ने आंखें मूंदी रखीं, तो मनरेगा गरीबों की योजना नहीं, भ्रष्टाचारियों का खजाना बनकर रह जाएगी।