महंत अवैधनाथ जी को भारत रत्न देने की माँग तेज — विनोद कुमार त्रिपाठी ने किया राष्ट्रव्यापी आह्वान

गोरखपुर में प्रेमचंद मानव सेवा न्यास द्वारा ब्रह्मलीन महंत अवैधनाथ जी को “भारत रत्न” देने की माँग को लेकर अभियान शुरू। राष्ट्रीय अध्यक्ष विनोद कुमार त्रिपाठी ने कहा — उनका जीवन राष्ट्र, धर्म और समाज के लिए आदर्श है।

महंत अवैधनाथ जी को भारत रत्न देने की माँग तेज — विनोद कुमार त्रिपाठी ने किया राष्ट्रव्यापी आह्वान
गोरखपुर में आयोजित प्रेमचंद मानव सेवा न्यास के कार्यक्रम में राष्ट्रीय अध्यक्ष विनोद कुमार त्रिपाठी और मुख्य ट्रस्टी अनिरुद्ध किरन बाबा ने ब्रह्मलीन महंत अवैधनाथ जी को ‘भारत रत्न’ से सम्मानित किए जाने की माँग उठाई। कार्यक्रम में संत-महात्मा और अनेक सामाजिक कार्यकर्ता मौजूद रहे।

गोरखपुर।

प्रेमचंद मानव सेवा न्यास के तत्वावधान में आयोजित एक विशेष कार्यक्रम में राष्ट्रीय अध्यक्ष विनोद कुमार त्रिपाठी एवं मुख्य ट्रस्टी विजय नाथ (अनिरुद्ध किरन बाबा) ने भारत सरकार से गोरक्षपीठाधीश्वर ब्रह्मलीन महंत अवैधनाथ जी महाराज को “भारत रत्न” सम्मान से अलंकृत करने की माँग की।

इस अवसर पर प्रेस प्रतिनिधिगण, संत-महात्मा और संस्था के पदाधिकारी बड़ी संख्या में उपस्थित रहे। सभा का उद्देश्य महंत अवैधनाथ जी के महान योगदान को राष्ट्र स्तर पर सम्मानित करने की पहल को गति देना था।

विनोद कुमार त्रिपाठी ने कहा कि “महंत अवैधनाथ जी का पूरा जीवन राष्ट्र सेवा, धर्म रक्षा और मानव कल्याण को समर्पित रहा। वे केवल गोरखनाथ मठ के महंत नहीं, बल्कि एक राष्ट्रभक्त संत, समाज सुधारक और युगपुरुष थे।”

उन्होंने याद दिलाया कि महंत अवैधनाथ जी ने रामजन्मभूमि आंदोलन में अग्रणी भूमिका निभाई और भगवान श्रीराम के भव्य मंदिर निर्माण के संकल्प को साकार करने में अद्वितीय योगदान दिया। यह योगदान भारतीय संस्कृति के इतिहास में सदा स्वर्णाक्षरों में अंकित रहेगा।

मुख्य ट्रस्टी अनिरुद्ध किरन बाबा ने कहा कि महंत जी ने शिक्षा, चिकित्सा और सेवा के क्षेत्र में असंख्य कार्य किए। गोरखनाथ मंदिर को उन्होंने केवल धार्मिक केंद्र नहीं, बल्कि राष्ट्रभक्ति, सांस्कृतिक चेतना और सेवा का केंद्र बनाया।

राजनीति में रहकर भी उनका लक्ष्य सत्ता नहीं, बल्कि समाजसेवा था। वे कहा करते थे — “धर्म और राष्ट्र एक-दूसरे के पूरक हैं।”

सभा में उपस्थित सभी सदस्यों ने एकमत से प्रस्ताव पारित कर भारत सरकार से निवेदन किया कि महंत अवैधनाथ जी महाराज को “भारत रत्न” से सम्मानित किया जाए, ताकि आने वाली पीढ़ियाँ उनके आदर्शों से प्रेरित होकर राष्ट्र सेवा और धर्म रक्षा के पथ पर अग्रसर हों।

अंत में विनोद कुमार त्रिपाठी ने कहा — “ऐसे संत को भारत रत्न देना संपूर्ण राष्ट्र की भावना का सम्मान होगा।”

कार्यक्रम का समापन जय श्रीराम और जय गोरखनाथ के नारों से हुआ।

निष्पक्ष जन अवलोकन 

विभव पाठक 

गोरखपुर