सलोन रेंज में हरे पेड़ों की अंधाधुंध कटान, वन विभाग और पुलिस की मिलीभगत से फलफूल रहा काला कारोबार

सलोन रेंज में हरे पेड़ों की अंधाधुंध कटान, वन विभाग और पुलिस की मिलीभगत से फलफूल रहा काला कारोबार

निष्पक्ष जन अवलोकन 

धीरेन्द्र कुमार 

रायबरेली। सलोन रेंज क्षेत्र में वन माफियाओं का आतंक इस कदर बढ़ चुका है कि हरे-भरे पेड़ों की अंधाधुंध कटान दिन-रात जारी है। विकास खंड डीह, छतोह और सलोन में पेड़ों पर बेरोक-टोक चल रहे आरे पर्यावरण के लिए खतरे की घंटी बन गए हैं। सूत्रों के मुताबिक इस अवैध कारोबार में स्थानीय पुलिस, वन विभाग कर्मियों और रेंजर की भूमिका संदिग्ध बताई जा रही है।

क्षेत्र में स्थित आरा मशीनों पर बिना परमिट की लकड़ियों का ढेर लगा हुआ है, जबकि कई धर्मकटाओं के आड़ में लकड़ियों की खरीद-फरोख्त धड़ल्ले से जारी है। यही नहीं, आढ़तों पर प्रतिबंधित लकड़ियाँ खुलेआम पड़ी हुई हैं, लेकिन वन विभाग और पुलिस प्रशासन मूकदर्शक बना हुआ है।

सूत्रों का कहना है कि लकड़ी से लदी ट्रालियों के पीछे भारी भरकम रकम का खेल चल रहा है। कहा जा रहा है कि पुलिस और वनकर्मियों के बीच मासिक वसूली की व्यवस्था तय है, जिसके चलते सलोन रेंज पूरी तरह भ्रष्टाचार की चपेट में आ चुका है।

सलोन-जगतपुर रोड पर स्थित आरा मशीनों पर भी बिना परमिट की लकड़ियों की भरमार है। सड़क किनारे फैली लकड़ियाँ राहगीरों के लिए मौत का जाल बन चुकी हैं। कई लोग अब तक हादसों का शिकार हो चुके हैं, लेकिन जिम्मेदार विभागों ने अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया।

कुछ दिन पहले सूची चौराहे के पास ओवरलोड लकड़ी से भरी ट्राली ने एक फोर व्हीलर को टक्कर मार दी थी, जिसमें बड़ा हादसा टल गया। बावजूद इसके, न तो RTO विभाग ने कार्रवाई की और न ही पुलिस ने कोई रोकथाम की कोशिश की।

रात के अंधेरे में ओवरलोड ट्रालियाँ काले कारोबार का हिस्सा बनकर सलोन रेंज से निकलती हैं, और पुलिस की मौजूदगी के बावजूद कोई रोक-टोक नहीं होती। इस सबके बीच सबसे बड़ा सवाल यही है कि—

क्या जिला प्रशासन किसी बड़े हादसे के बाद ही जागेगा?

अगर हालात ऐसे ही बने रहे, तो आने वाले समय में न केवल पर्यावरण को गहरा नुकसान होगा बल्कि निर्दोष लोगों की जान भी इन अवैध हरकतों की भेंट चढ़ती रहेगी।