मिटटी के दिये और गोल्लक आदि वर्तनो की जमकर हो रही है विक्री

मिटटी के दिये और गोल्लक आदि वर्तनो की जमकर हो रही है विक्री

निष्पक्ष जन अवलोकन अजय रावत।। सिरौली गौसपुर । क्षेत्र में दीपावली के त्योहार को देखते हुए कुम्हार और मिट्टी के दीये बनाने वाले कारीगर इन दिनों व्यस्त हैं। दीपावली पर घरों, दुकानों और प्रतिष्ठानों में मिट्टी के दीयों की बढ़ती मांग के कारण कारीगर अपने परिवारों के साथ दिये बनाने में जुटे हैं। तहसील क्षेत्र के सैदनपुर, औरेला, पंजरौली सहित अन्य गांवों में कुम्हार समाज के लोग पीढ़ियों से मिट्टी के बर्तन बनाकर अपनी आजीविका चला रहे हैं। दीपावली पर्व नजदीक आने पर इन कुम्हारों के घरों में चाक की गूंज सुनाई देने लगी है। कारीगर छोटू, सर्वजीत, तिलक राम और केशव राम ने बताया कि पहले वे हाथ वाली चाक से मिट्टी के बर्तन बनाते थे, लेकिन अब इलेक्ट्रिक चाक का उपयोग करते हैं। इसे सोलर पैनल, बिजली और बैटरी से आसानी से चलाया जा सकता है, जिससे अब अधिक काम हो पाता है। उन्होंने यह भी बताया कि मिट्टी ढूंढने के लिए काफी मेहनत करनी पड़ती है। दीपावली पर मिट्टी के दीये 70 से 80 रुपये प्रति सैकड़ा बिकते हैं। लोग दीयों के साथ-साथ मिट्टी के अन्य बर्तन भी खरीदते हैं। कुम्हार परिवार इस समय दीये, कुल्हड़, गुल्लक, मटकी, गगरी, भुरका, मथना, मलिया, हाथी और छठ की कोशी सहित कई प्रकार के मिट्टी के बर्तन तैयार कर रहे हैं। कारीगर छोटू ने बताया कि यह परंपरा उनके परिवार में कई पीढ़ियों से चली आ रही है। हर साल दीपावली पर मिट्टी के दीयों और अन्य बर्तनों की मांग बढ़ जाती है। इन दिनों गांव के कुम्हार चाक पर दिन-रात मेहनत कर सुंदर दीये और सजावटी बर्तन तैयार कर रहे हैं।