वनवास भोगते हैं हम राम की तरह दिन तो निकल रहे हैं मगर शाम की तरह:-ओजस्वी जौहरी

निष्पक्ष जन अवलोकन

वनवास भोगते हैं हम राम की तरह दिन तो निकल रहे हैं मगर शाम की तरह:-ओजस्वी जौहरी

निष्पक्ष जन अवलोकन। प्रशान्त जैन। बिल्सी(बदायूँ):-उत्तर प्रदेश हिन्दी साहित्य सेवा समिति के तत्वावधान में आज बिसौली रोड स्थित पद्मांचल जैन मंदिर, बिल्सी पर काव्य गोष्ठी का आयोजन किया गया गोष्ठी का शुभारंभ कवि विष्णु असावा ने मां सरस्वती के समक्ष दीप प्रज्वलन कर मां शारदे की वंदना के साथ हुआ जिसमें बदायूं से पधारे कार्यक्रम अध्यक्ष वरिष्ठ शायर जनाब अहमद अमजदी ने पड़ा छीन पाया ना जब हया हम से छीन ली वक्त ने रिदा हम से माॅं की कुर्बानियां ही ऐसी हैं हो नहीं सकता हक़ अदा हम से क़ासिम खैरवी ने पड़ा कि सितम गर से इनायत चाहता है तू क़ातिल से ह़िफ़ाज़त चाहता है न कर तू यार नादानी की बातें ग़लत धंदे मे बरकत चाहता है कवि विष्णु असावा ने पड़ा कि ढूंढता हूँ फिर वही नाता पुराना चाहिए । मुफलिसी में भी चले वो ही जमाना चाहिए ।। कवि प्रशान्त खण्डेलवाल ने पड़ा कि पल-पल तरसे थे जिस पल के लिए वो पल भी आया एक पल के लिए सोचा रोक लूं उस पल को हर पल के लिए वो पल न रुक सका एक पल के लिए युवा कवि ओजस्वी जौहरी ने पड़ा कि वनवास भोगते हैं हम राम की तरह दिन तो निकल रहे हैं मगर शाम की तरह . कवि प्रेम दक्ष ने पड़ा कि मिट जायगी दो दिलो की दूरी सरहदों पर । यदि रंग हर सरहदों पर प्रेम का रख दूँ । कार्यक्रम के समापन से पूर्व सभी कवियों को प्रतीक चिन्ह व प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया गया । कार्यक्रम में समिति के अध्यक्ष विष्णु असावा एवं कार्यक्रम संयोजक ट्री मैन प्रशांत जैन पीयूष वार्ष्णेय,वंश गिरी आदि लोग मौजूद रहे ।।