दिल्ली से देश तक गूंजा ‘मिशन मैदान’, खीरी मॉडल बना प्रेरणा की मिसाल - डी एम

निष्पक्ष जन अवलोकन।
रोहित मिश्रा जिला ब्यूरो लखीमपुर खीरी
दिल्ली से देश तक गूंजा ‘मिशन मैदान’, खीरी मॉडल बना प्रेरणा की मिसाल - डी एम
शिक्षा के क्षेत्र में एक नई क्रांति की शुरुआत हो चुकी है और इसकी अगुवाई कर रहा है उत्तर प्रदेश का एक ज़िला, लखीमपुर खीरी। शुक्रवार को देश की राजधानी दिल्ली के ICAR, पूसा रोड स्थित सभागार में आयोजित राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के शिक्षा अधिकारियों के उच्चस्तरीय सम्मेलन में लखीमपुर खीरी की डीएम दुर्गा शक्ति नागपाल ने जब ‘मिशन मैदान मॉडल’ को पेश किया, तो पूरे सभागार में तालियों की गूंज और सम्मान की सराहना सुनाई दी।
यह मंच था शिक्षा में नवाचार, समग्र दृष्टिकोण और बच्चों के समर्पित भविष्य की योजनाओं का, जहां राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP), पीएम-श्री स्कूल और समग्र शिक्षा के साथ 'मिशन मैदान' जैसे मॉडल ने शिक्षा को एक नया आयाम देने का काम किया। बैठक का आयोजन शिक्षा एवं साक्षरता विभाग (SE&L) द्वारा किया गया।
*राष्ट्रीय मंच पर मिली पहचान*
इस कार्यक्रम में देश भर से आए शिक्षा विभाग के शीर्ष अधिकारी मौजूद थे। जब डीएम दुर्गा शक्ति नागपाल ने मिशन मैदान मॉडल के आंकड़े, कहानियां और ज़मीनी बदलाव प्रस्तुत किए, तो यह स्पष्ट हो गया कि यह एक ग्राम्य क्षेत्र की योजना नहीं, बल्कि एक राष्ट्र स्तरीय प्रेरणा है। डीएम ने जिस आत्मविश्वास और तथ्यात्मक प्रस्तुति के साथ खीरी मॉडल को प्रस्तुत किया, उसने सभी को प्रभावित किया।
डीएम ने कहा कि हमारे बच्चे सिर्फ किताबों तक सीमित न रहें, बल्कि मैदान में उतरें, खेलें, सीखें और जीवन के हर क्षेत्र में उत्कृष्टता हासिल करें। यही है मिशन मैदान का मकसद।
बताते चलें कि केंद्र सरकार इस मॉडल को अन्य राज्यों में भी अपनाने पर विचार कर रही है, ताकि हर बच्चे को खेलने और सीखने का समान अवसर मिल सके। लखीमपुर खीरी की यह सफलता साबित करती है कि एक जिले की पहल भी पूरे देश को दिशा दे सकती है। बस ज़रूरत होती है सही नेतृत्व, नवाचार और संकल्प की।
क्या है 'मिशन मैदान'?
‘मिशन मैदान’ सिर्फ एक योजना नहीं, बल्कि बच्चों के सर्वांगीण विकास की दिशा में एक व्यापक और दूरदर्शी पहल है। इसका उद्देश्य न केवल स्कूल परिसरों में खेल मैदानों का निर्माण करना है, बल्कि एक ऐसी खेल-संस्कृति को बढ़ावा देना है, जिसमें शिक्षा और खेलों को समान महत्व दिया जाए। यह मिशन बच्चों में खेल के अधिकार को सुनिश्चित करता है और उन्हें संतुलित विकास के अवसर प्रदान करता है।
जहां बच्चे फिर से दौड़े, खेलें और सपने देखें
लखीमपुर खीरी के स्कूलों में वर्षों से सूने पड़े मैदानों को जब जीवन मिला, तो वहां बच्चों की हंसी लौट आई। जिन स्कूलों में स्थान का अभाव था, वहां रूफटॉप इनडोर गेमिंग जोन विकसित किए गए। इस मिशन ने सिर्फ ज़मीन नहीं बदली, ज़िंदगियाँ बदलीं। बच्चों को किताबों के बोझ से कुछ पल की राहत मिली, और शरीर के साथ-साथ आत्मा भी खिल उठी।