पचपेड़वा विकासखंड भूख से तड़प-तड़प कर मर रही गौमाताएं, सच लिखने पर सचिव की धमकी – “कितने दिन बचोगे... दबोच लूंगा

निष्पक्ष जन अवलोकन।
बदरूजमा चौधरी ।
बलरामपुर विकासखंड पचपेड़वा के ग्राम पंचायत आदम तारा की गौशाला इन दिनों बदहाली और दर्द की गवाही दे रही है। गौमाताएं भूख-प्यास से तड़प-तड़पकर दम तोड़ रही हैं, लेकिन देखने और संभालने वाला कोई नहीं। गौशाला में भूसे का नामोनिशान नहीं, पानी की टंकी सूनी पड़ी है। गौमाताएं खुले आसमान के नीचे इंसान की संवेदनहीनता पर आंसू बहा रही हैं। गांव के लोगों ने कई बार अधिकारियों से गुहार लगाई, मगर आज तक किसी ने सुध नहीं ली। गांव के बुजुर्ग कहते हैं, “हमारी गौमाताएं भूख से मर रही हैं, शरीर पर पसलियां गिनने लायक दिखती हैं, लेकिन पंचायत के जिम्मेदारों की आंखों पर पट्टी बंधी है।” यह नजारा प्रशासन की लापरवाही का नहीं, बल्कि इंसानियत की मौत का सबूत बन चुका है। जब स्थानीय संवाददाता ने इस भयावह स्थिति की जानकारी लेने और सच्चाई जनता तक पहुँचाने का प्रयास किया, तो ग्राम पंचायत सचिव नीलेश का असली चेहरा सामने आ गया। वर्जन लेने पर सचिव ने पत्रकार को खुलेआम धमकी देते हुए कहा > अगर गौशाला, पंचायत भवन या सामुदायिक शौचालय की खबर लिखी, तो अंजाम बहुत बुरा होगा। कितने दिन बचोगे... किसी दिन दबोच लूंगा! कहावत है ना — ना घर का रहोगे, ना घाट का... कहीं नहीं छोड़ूंगा इस बयान ने पूरे पत्रकार समाज को हिला दिया है। सवाल यह है कि जब पत्रकार गरीबों और पशुओं की आवाज बनता है, तो उसे धमकियां क्यों दी जाती हैं? क्या सच दिखाना अब अपराध है? ग्रामवासियों ने कहा, “हमारी गौमाताएं तड़प-तड़पकर मर रही हैं। अगर कोई आवाज उठाता है, तो उसे डराया जाता है। यह कैसी लोकतंत्र की परछाई है?” पत्रकारों ने जिलाधिकारी बलरामपुर से मांग की है कि इस पूरे मामले की निष्पक्ष जांच कराई जाए और सचिव नीलेश के खिलाफ कठोर कार्रवाई की जाए। यह खबर सिर्फ एक पंचायत की नहीं, बल्कि पूरे तंत्र की नाकामी को उजागर करती है। बलरामपुर से उठी यह पुकार आज हर संवेदनशील दिल को झकझोर रही है कब तक भूख से मरेंगी गौमाताएं और कब तक दबाई जाएगी सच की आवाज़