अंतर्राष्ट्रीय आध्यात्मिक केन्द्र के भक्तों के बीच अयोध्या (यूपी) के पं० राजकुमार शास्त्री का हुआ प्रवचन

निष्पक्ष जन अवलोकन। । शिवसंपत करवरिया। चित्रकूट। खगड़िया देवशयनी एकादशी के अवसर पर अयोध्या से पधारे पंडित राजकुमार शास्त्री ने मां तारा शक्तिपीठ मंदिर में अंतर्राष्ट्रीय आध्यात्मिक केन्द्र से जुड़े भक्तों के बीच अपने प्रवचन में कहा एकादशी देवी, भगवान विष्णु की बेटी मानी जाती हैं। भगवान विष्णु के शरीर से ही एकादशी देवी का जन्म हुआ था। जब भगवान विष्णु योग निद्रा में सो रहे थे, तब मुर नामक राक्षस ने उन पर आक्रमण किया। इसी समय, भगवान विष्णु के शरीर से एक देवी प्रकट हुईं, जिन्होंने मुर का वध किया। इस देवी को एकादशी नाम दिया गया और उन्हें भगवान विष्णु की मानस पुत्री माना जाता है। अयोध्या (यूपी) के पं० राजकुमार शास्त्री ने अंतर्राष्ट्रीय आध्यात्मिक केन्द्र के संस्थापक डॉ अरविन्द वर्मा को मां तारा शक्तिपीठ मंदिर में आशीर्वचन दिया। आगे उन्होंने देवशयनी एकादशी पर चर्चा करते हुए कहा भगवान विष्णु की सहायता से भगवान शंकर ने शंखचूड़ का वध किया। जिस दिन शंखचूड़ का वध हुआ था, उस दिन आषाढ़ मास की एकादशी थी। शंखचूड़ की मृत्यु के पश्चात भगवान विष्णु शयन करने के लिए क्षीरसागर चले गए। भगवान विष्णु के शयन के लिए जाने के कारण इसे हरि शयनी एकादशी और देव शयनी एकादशी कहा गया।अयोध्या के पंडित राजकुमार शास्त्री ने कहा देवशयनी एकादशी के दिन से चातुर्मास की शुरुआत होती है यानी 4 महीने के लिए भगवान विष्णु निद्रा में चले जाते हैं। इस दौरान मांगलिक कार्य नहीं किए जाते जैसे विवाह, गृहप्रवेश आदि। इस दिन का व्रत पापों का नाश, मन की शांति और मोक्ष दिलाने वाला माना जाता है।