मसौरा में राम-भरत मिलाप लीला का मंचन वर्षों पुरानी परंपरा में श्रद्धालुओं की आंखें हुईं नम

मसौरा में राम-भरत मिलाप लीला का मंचन वर्षों पुरानी परंपरा में श्रद्धालुओं की आंखें हुईं नम

निष्पक्ष जन अवलोकन। अरविन्द कुमार पटेल। ललितपुर। जनपद में बुधवार को श्री शिव आदर्श रामलीला समिति मसौरा खुर्द द्वारा आयोजित रामलीला मंचन में रामभरत मिलाप की लीला का मंचन किया गया। मुख्य अतिथि सुजान सिंह पटेल द्वारा राम सीता लक्ष्मण जी की आरती उतारी गई।इसके बाद आगंतुक अतिथियों का रामलीला समिति द्वारा सम्मान किया गया। मसौरा खुर्द के क्षेत्रवासियों में मनमोहक पात्रों के साथ सुर साज युक्त रामलीला से धार्मिक भक्तिमय माहौल है।महिलाएं एवं बच्चे सैकड़ो की संख्या में प्रतिभाग कर रहे है। पांचवें दिन की लीला मंचन की शुरूआत केवट प्रसंग से तो समापन राम-भरत मिलाप के मार्मिक दृश्यों के मंचन से हुआ। लीला के क्रम में भगवान श्रीराम निषादराज का आतिथ्य ग्रहण करने के बाद आगे बढ़ते हैं। अगले दृश्य में गंगा का किनारा होता है। भगवान श्रीराम इस बीच माता सीता व लक्ष्मण के साथ प्रवेश करते हैं। बार-बार कहने पर भी जब केवट नाव पर चढ़ाने को तैयार नहीं होता तो श्रीराम कारण पूछते हैं। केवट कहता है पद कमल धोइ चढ़ाइ नाव न नाथ उतराई चहौं...मैंने सुना है आपके चरण रज में जादू है जो पत्थर में भी जान डाल देती है। राम कहते हैं केवट जिस प्रकार तुम्हारा संशय दूर हो वही करो। फिर केवट द्वारा भगवान श्रीराम के पांव पखारने के दृश्य ने सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया। अगले दृश्य में अयोध्या का माहौल भगवान श्रीराम के विरह में शोकाकुल है। इस बीच महाराज दशरथ अपने प्राण त्याग देते हैं। अगले दृश्य में भरत और शत्रुघ्न का अयोध्या में प्रवेश होता है। राम,लक्ष्मण व सीता के वनवास व पिता दशरथ के मरण का समाचार पाकर वह दुखी हो जाते हैं। गुरू वशिष्ठ से कहते हैं कि मुझे राज्य नहीं चाहिए। मेरा कल्याण तो भैया राम की चाकरी में है। भरत-शत्रुघ्न श्रीराम को मनाने के लिए निकलते हैं। अगले दृश्य में चित्रकूट का दर्शन होता है। यहां राम-सीता व लक्ष्मण के साथ विराजमान हैं। एक भील आता है और भरत के सेना के साथ आने की जानकारी देता है। लक्ष्मण को संशय होता है, राम उन्हें समझाते हैं। इस बीच भरत पहुंचते हैं और भगवान श्रीराम को देखते ही उनसे लिपट जाते हैं। राम-भरत मिलाप के इस मार्मिक दृश्य को देखकर सभी की आंखें भर आती हैं। भरत सहित माताएं, गुरुदेव सभी राम को मनाने की कोशिश करते हैं। वशिष्ठ कहते हैं कि आप अपनी चरणपादुका भरत को सौंप दें। जिन्हें राजगद्दी पर रखकर भरतलाल राज करेंगे। भरत श्रीराम की चरणपादुका माथे पर लगाते हैं, इस बीच पार्श्व में शीश पर खड़ाऊं आंखों में पानी, रामभक्त ले चला रे राम की निशानी...भजन बजता है। सभी भावविभोर हो जाते हैं। इस अवसर पर विशिष्ट अतिथि कैलाश पटेल जिलाध्यक्ष जदयू, घनश्याम पटेल अर्जुनखिरिया, सचिन पटेल गदौरा रहे। सीताराम पटेल डायरेक्टर ,रामप्रसाद पटेल कमेटी अध्यक्ष, अमृत लाल पटेल व्यास,करन पटेल मंच संचालक, सनत पटेल,जय पटेल,देवेंद्रपटेल,हरनाम पटेल,सहित सैकड़ों धर्म प्रेमी बंधु उपस्थित रहे।