मनरेगा में फर्जीवाड़ा जारी: गरीबों के हक़ पर डाका, मौके पर आधे से भी कम मजदूर

निष्पक्ष जन अवलोकन विकासखंड कौवापुर (बलरामपुर )क्षेत्र के अंतर्गत मनरेगा योजना में भारी अनियमितताएं उजागर हुई हैं। शासन की मंशा है कि गरीब मजदूरों को रोजगार देकर उनके जीवन स्तर में सुधार लाया जाए, मगर जमीनी हकीकत इसके बिल्कुल विपरीत नजर आ रही है। जिम्मेदार अधिकारी कागजों पर काम दिखाकर शासन की योजनाओं का मजाक उड़ा रहे हैं। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, ग्राम पंचायत प्रेम नगर में मौके पर मात्र 12 मजदूर कार्य करते हुए पाए गए, जबकि रजिस्टर में 4 मास्टर रोल पर 39 मजदूरों की ऑनलाइन अटेंडेंस दिखाई गई है। कागजों में मजदूरों की भीड़ और मैदान में सन्नाटा – यही है मनरेगा का असली चेहरा। वहीं, ग्राम पंचायत गैरहवा में 6 मास्टर रोल के तहत 53 मजदूरों की ऑनलाइन उपस्थिति दर्ज की गई, पर मौके पर जाकर देखा गया तो केवल 8 मजदूर ही काम करते मिले। बाकी मजदूरों के नाम सिर्फ ऑनलाइन हाजिरी रजिस्टर में चमकते हैं, जबकि उनके हाथ अब भी बेरोजगारी की धूल से भरे पड़े हैं। इसी तरह ग्राम पंचायत ठाकुर में 1 मास्टर रोल में 7 मजदूरों की फर्जी हाजिरी दिखाई गई। मौके पर किसी भी मजदूर की उपस्थिति नहीं मिली। यह साफ़ दर्शाता है कि गांवों में मनरेगा कार्य केवल कागजों पर सीमित हैं, और मजदूरों का हक़ किसी और की जेब में जा रहा है। यह स्थिति बेहद शर्मनाक और गरीब वर्ग के साथ अन्यायपूर्ण है। मनरेगा जैसी योजना, जो गरीबी मिटाने के लिए बनी थी, वह अब भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ रही है। यदि समय रहते जांच नहीं की गई, तो मेहनतकश मजदूरों की यह आवाज शासन के कानों तक पहुंचते-पहुंचते खो जाएगी। गांव-गांव की ऐसी तस्वीरें बताती हैं कि जिम्मेदार अधिकारी और निगरानी दल अपने कर्तव्यों से विमुख हैं। अब जरूरत है कि जिला प्रशासन मौके पर जांच कर दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करे, ताकि गरीबों का पसीना फिर से उन्हें रोजगार और सम्मान दिला सके।