मनरेगा में बड़ा फर्जीवाड़ा: पंचायत भवन और सामुदायिक शौचालय बिना संचालक, मजदूरों का हक़ कागज़ों में हजम

मनरेगा में बड़ा फर्जीवाड़ा: पंचायत भवन और सामुदायिक शौचालय बिना संचालक, मजदूरों का हक़ कागज़ों में हजम

निष्पक्ष जन अवलोकन। विकासखंड पचपेड़वा (बलरामपुर)अंतर्गत ग्राम पंचायत मदरहवा कलां से चौकाने वाला मामला सामने आया है। सूत्रों के अनुसार पंचायत में बना सामुदायिक शौचालय और पंचायत भवन बिना संचालक के वीरान पड़े हैं। गाँव की जनता इनका उपयोग नहीं कर पा रही, लेकिन कागज़ों में सबकुछ ठीक-ठाक बताया जा रहा है। यही नहीं, मनरेगा में भी बड़े पैमाने पर फर्जीवाड़ा चल रहा है। पचपेड़वा ब्लॉक मुख्यालय से महज 40 किलोमीटर दूर मदरहवा कलां में मनरेगा योजनाओं का खेल गरीबों की मेहनत और हक पर सीधा प्रहार है। मीडिया की टीम मौके पर पहुँची तो मजदूर कहीं दिखाई नहीं दिए। हैरानी की बात यह है कि यहाँ तीन मास्टर रोल में 26 मजदूरों की ऑनलाइन उपस्थिति दर्ज कर दी जाती है, जबकि ज़मीनी स्तर पर कार्यस्थल पर एक भी मजदूर मौजूद नहीं मिला। इस गंभीर मामले पर पहले भी आवाज उठ चुकी है। निष्पक्ष जन अवलोकन ने 13 सितंबर को इस फर्जीवाड़े की खबर प्रकाशित की थी, लेकिन प्रशासन ने जैसे कान बंद कर लिए हों। अधिकारियों की चुप्पी इस ओर इशारा करती है कि या तो वे मामले को दबा रहे हैं या फिर उनकी सीधी मिलीभगत से यह भ्रष्टाचार फल-फूल रहा है। यहाँ यह भी उल्लेखनीय है कि हाल ही में इसी ब्लॉक की बिशनपुर टनटनवा ग्राम पंचायत में मनरेगा घोटाले के चलते जिम्मेदारों को जेल की हवा तक खानी पड़ी थी। फिर भी मदरहवा कलां में धड़ल्ले से फर्जीवाड़ा जारी है, जिससे साफ है कि प्रशासन ने पिछली घटनाओं से कोई सबक नहीं लिया। जब इस मुद्दे पर संवाददाता ने बीडीओ पचपेड़वा मोहित दुबे से बात करनी चाही तो घंटी बजने के बाद कॉल काट दी गई। मोहित दुबे ने फोन उठाना भी मुनासिब नहीं समझा। सवाल यह है कि आखिर अधिकारी इस घोटाले पर चुप क्यों हैं? गरीबों की रोज़ी-रोटी छीनने वाली यह साज़िश कब तक चलती रहेगी? पंचायतों में फाइलों पर दर्ज विकास क्या वाकई ज़मीन पर उतर पाएगा या फिर कागज़ों की चकाचौंध में ग़रीबों का खून-पसीना यूँ ही लुटता रहेगा?