चिकित्सीय एवं मानसिक स्वास्थ्य स्थितियों में प्रारं।।भिक स्क्रीनिंग और इंटरवेंशन अत्यंत आवश्यक
निष्पक्ष जन अवलोकन अजय रावत लखनऊ। अंतर्राष्ट्रीय दिव्यांगजन दिवस के अवसर पर इंडियन प्रोग्रेसिव यूथ फोरम ट्रस्ट, इंडियन मेंटल हेल्थ एंड रिसर्च सेंटर तथा हौसला अर्ली इंटरवेंशन सेंटर, लखनऊ के संयुक्त तत्वावधान में महानगर, लखनऊ में एक निःशुल्क चिकित्सा एवं मानसिक स्वास्थ्य शिविर तथा जागरूकता रैली का आयोजन किया गया। रैली को महानगर थाने के उप-निरीक्षक अनुराग सिंह ने हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। कार्यक्रम में मुख्य अतिथियों के रूप में डॉ. साजिद काज़मी, प्रो. कृष्ण दत्त (एचओडी, क्लिनिकल साइकोलॉजी, एरा यूनिवर्सिटी), डॉ. सुफ़िया काज़मी (जनरल फिज़िशियन), डॉ. मूसवी (जनरल फिज़िशियन), कर्नल जितेन्द्र (आर्मी सेंट्रल कमांड), श्री चन्द्र प्रकाश (अमिटी यूनिवर्सिटी), सुश्री आँचल अग्रवाल (अमिटी यूनिवर्सिटी), श्री आरज़ू काज़मी, श्री अबूतुराब, सुश्री तबस्सुम, सुश्री अलीशा ख़ान तथा श्री खुर्शीद काज़मी सहित अमिटी यूनिवर्सिटी के उत्साही विद्यार्थियों की उपस्थिति रही। जागरूकता रैली हौसला सेंटर से प्रारम्भ होकर माउंट कार्मेल स्कूल तथा गोल मार्केट चौराहा होते हुए पुनः हौसला सेंटर पहुँची। रैली का उद्देश्य दिव्यांगजन समावेश, प्रारंभिक हस्तक्षेप और समुदाय में जागरूकता को बढ़ावा देना था। निःशुल्क स्वास्थ्य शिविर में लगभग 150 लाभार्थियों ने चिकित्सा परीक्षण, जनरल मेडिसिन परामर्श, मानसिक स्वास्थ्य स्क्रीनिंग, स्पीच एवं लैंग्वेज परामर्श तथा स्पेशल एजुकेशन सेवाओं का लाभ उठाया। बच्चों एवं किशोरों में मुख्य समस्याएँ शैक्षणिक तनाव, स्क्रीन का अत्यधिक उपयोग तथा दैनिक जीवन में समायोजन संबंधी कठिनाइयाँ देखी गईं। वहीं वयस्कों में कार्य-तनाव, नशे की लत, अवसाद और चिंता जैसी समस्याएँ प्रमुख रहीं। चिकित्सकों ने तनाव एवं चिंता के प्रभावी प्रबंधन हेतु दैनिक दिनचर्या में संरचना लाने, नींद स्वच्छता अपनाने तथा रिलैक्सेशन तकनीकों का अभ्यास करने की सलाह दी। अमिटी यूनिवर्सिटी के विद्यार्थियों द्वारा न्यूरो-डेवलपमेंटल विकारों और दिव्यांगताओं पर आधारित एक शैक्षणिक प्रदर्शनी भी लगाई गई, जिसमें विभिन्न विकारों, उनके कारणों, रोकथाम के उपायों तथा पुनर्वास पद्धतियों को दर्शाने वाले मॉडल और पोस्टर शामिल थे। इस पहल को जनता से अत्यधिक सकारात्मक प्रतिक्रिया मिली और कार्यक्रम ने समाज के सभी वर्गों के लिए मानसिक स्वास्थ्य जागरूकता, प्रारंभिक हस्तक्षेप और सुलभ स्वास्थ्य सेवाओं के महत्व को और अधिक मजबूत किया।