चिकित्सा अधीक्षक के खिलाफ जिलाधिकारी ने लिया एक्शन, जांच टीमें घटित

निष्पक्ष जन अवलोकन। अखिलेश कुमार
ललितपुर।
ललितपुर के मड़ावरा सीएचसी में तैनात चिकित्सा अधीक्षक के खिलाफ जिलाधिकारी ने एक्शन ले लिया है। अधीक्षक पर लगे गंभीर आरोपों के खिलाफ डीएम द्वारा दो जांच टीमें गठित की गईं हैं। गौरतलब है कि मड़ावरा सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र पर तैनात चिकित्सा अधीक्षक पर बीते दिनों आशा और संगनी बहुओं ने मनमानी और अवैध वसूली के आरोप लगाते हुए, सीएचसी केन्द्र के सामने विरोध प्रदर्शन किया था। इसके बाद ग्रामीण पत्रकार एसोसिएशन ने भी अस्पताल में फैले भ्रष्टाचार और अधीक्षक द्वारा कराए गए मानकविहीन कार्यों समेत उनके रवैए के खिलाफ एसडीएम, डीएम और राज्यमंत्री मनोहर लाल पंथ मन्नू कोरी से भी शिकायत की गई थी। इसी बीच सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के बाल पोषण पुनर्वास केंद्र पर तैनात आहार विशेषज्ञ द्वारा भी अधीक्षक पर एनआरसी में भारी भ्रष्टाचार समेत एक साल से उसका शोषण और अश्लील टिप्पणी की शिकायत एसडीएम, सीएमओ और जिलाधिकारी से की गई थी। अस्पताल में तैनात एक सुरक्षा गार्ड द्वारा भी तीमारदार के साथ मारपीट की गई थी। जिसमें तीमारदार ने आरोप लगाया था कि वह अपने भाई का इलाज कराने गया तो अधीक्षक ने अस्पताल से बाहर निकाल दिया और गार्ड से पिटवाया था। मामले को गंभीरता से लेते हुए जिलाधिकारी अमनदीप डुली ने मुख्य चिकित्सा अधिकारी इम्तियाज खान को जांच के निर्देश दिए। जिस पर मुख्य चिकित्साधिकारी ने तीन सदस्यीय जांच टीम गठित कर दी। इसके अलावा दूसरी जांच जिलाधिकारी ने उप जिलाधिकारी मड़ावरा शैलेन्द्र कुमार चौधरी को सौंपी। डीएम ने सम्बन्धित को सख्त निर्देश दिए हैं कि सही बिंदुओं पर जांच कर जल्द से जल्द सौंपी जाए। जिसके बाद आगे की वैधानिक कार्रवाई की जाएगी। पूर्व तैनाती पर भी लगे गंभीर आरोप सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, वर्तमान सीएचसी केन्द्र मड़ावरा पर तैनात अधीक्षक हमेशा से ही विवादों में रहे हैं। पूर्व तैनाती कासगंज में डिप्टी सीएमओ के पद पर थी। लेकिन, यहां भी भ्रष्टाचार समेत स्टाफ उत्पीड़न समेत कई गंभीर आरोप लगे थे। जिसके बाद विभाग ने एक्शन लिया और डिप्टी सीएमओ से डिमोशन कर जनपद ललितपुर में एमओआईसी पद की जिम्मेदारी मिली। अधीक्षक के दबाव के कारण नहीं बोल पा रहे कर्मचारी वहीं, विभागीय सूत्र बताते हैं कि, अधीक्षक द्वारा विभागीय कर्मचारियों पर दबाव बनाया गया है। जिस वजह से कर्मचारी अस्पताल में फैले भ्रष्टाचार की शिकायत उच्चाधिकारियों से करने में कतरा रहे। क्षेत्रीय लोगों समेत कर्मचारियों की जिलाधिकारी से मांग है कि तत्काल प्रभाव से अधीक्षक को हटाया जाए। जिससे वह लोग बिना डर के अपनी समस्या अधिकारियों के सामने रख सकें।