पचपेडवा ब्लॉक में मनरेगा का काला सच: कागज़ों में मजदूरी, ज़मीन पर सन्नाटा

पचपेडवा ब्लॉक में मनरेगा का काला सच: कागज़ों में मजदूरी, ज़मीन पर सन्नाटा

निष्पक्ष जन अवलोकन।   पचपेडवा विकासखंड बलरामपुर अंतर्गत ग्राम पंचायत मोतीनगर से मनरेगा में बड़े पैमाने पर फर्जीवाड़े की चौंकाने वाली खबर सामने आई है। सरकारी अभिलेखों के अनुसार यहां 9 मास्टर रोल में 88 मजदूरों की ऑनलाइन उपस्थिति दर्ज की गई, लेकिन जब मीडिया की टीम कार्यस्थल पर पहुंची तो एक भी मजदूर मौके पर काम करता हुआ नहीं मिला। कार्यस्थल पूरी तरह सुनसान था, मानो यहां कभी काम हुआ ही न हो। सूत्रों के मुताबिक ग्राम पंचायत मोतीनगर में नेताओं के संरक्षण में फर्जी मास्टर रोल चलाए जा रहे हैं। आरोप है कि “छोट भैया” के दबदबे में मनरेगा की योजनाओं को कागज़ों तक सीमित कर दिया गया है। हाजिरी के नाम पर फोटो से फोटो लेकर ऑनलाइन अटेंडेंस लगाई जा रही है, जबकि असल मजदूरों को काम और मजदूरी दोनों से वंचित रखा जा रहा है। इस पूरे मामले में एक और गंभीर पहलू सामने आया है। बताया जा रहा है कि एक व्यक्ति नंद कुमार पांडे ने कहा की खबर प्रकाशित करने पर धमकी दी गई कि “खबर छपी तो पत्रकारिता भूल जाओगे।” यह न सिर्फ लोकतंत्र के चौथे स्तंभ पर हमला है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि भ्रष्टाचार कितना बेखौफ हो चुका है। यह पहला मामला नहीं है। इससे पहले भी ग्राम पंचायत बिशनपुर टनटना में मनरेगा में भ्रष्टाचार का एक बड़ा घोटाला सामने आ चुका है, लेकिन ठोस कार्रवाई न होने से भ्रष्ट तत्वों के हौसले और बुलंद हो गए हैं। पचपेडवा ब्लॉक में मनरेगा की हालत यह है कि योजना का उद्देश्य—गरीबों को रोजगार—कहीं पीछे छूट गया है और सरकारी धन की लूट प्राथमिकता बन चुकी है। अब सवाल उठता है कि प्रधान सचिव और उच्च अधिकारी इस फर्जीवाड़े पर क्या कार्रवाई करेंगे? क्या मजदूरों को उनका हक मिलेगा, या फिर मनरेगा कागज़ों की योजना बनकर रह जाएगी? यह खबर सिर्फ एक पंचायत की नहीं, बल्कि पूरे सिस्टम की संवेदनाओं को झकझोर देने वाली सच्चाई है, जो जवाब मांगती है।