ग्राम पंचायत बनकटवा का प्राथमिक विद्यालय महीनों से बंद, बच्चों का भविष्य अंधेरे में

ग्राम पंचायत बनकटवा का प्राथमिक विद्यालय महीनों से बंद, बच्चों का भविष्य अंधेरे में

निष्पक्ष जन अवलोकन पचपेड़वा बलरामपुर। शिक्षा क्षेत्र में ग्राम पंचायत बनकटवा का प्राथमिक विद्यालय आज शिक्षा का मंदिर नहीं, बल्कि तालेबंदी का प्रतीक बन चुका है। महीनों से यहाँ पर न तो शिक्षक समय पर पहुँचते हैं और न ही बच्चों की पढ़ाई सुचारु रूप से चल रही है। हालात यह हैं कि विद्यालय कभी-कभी औपचारिकता निभाने के लिए खुलता है, मगर नियमित शिक्षा की उम्मीद रखना ग्रामीणों के लिए एक सपना ही रह गया है। गाँव के अभिभावकों का कहना है कि विद्यालय के अध्यापक महीनों तक स्कूल का रुख तक नहीं करते। बच्चे सुबह-सुबह उत्साह के साथ विद्यालय पहुँचते हैं, लेकिन दरवाज़े पर ताला देखकर मायूस होकर वापस लौट जाते हैं। शिक्षा का अधिकार अधिनियम सिर्फ़ कागज़ों तक सीमित रह गया है। वहीं, विद्यालय भवन जर्जर हालत में खड़ा है और देखरेख के अभाव में उसकी स्थिति दिन-ब-दिन बदतर होती जा रही है। ग्रामीणों का कहना है कि शासन-प्रशासन की योजनाएँ केवल काग़ज़ों तक सीमित हैं। बच्चों के भविष्य से खिलवाड़ हो रहा है, लेकिन जिम्मेदार अधिकारी मौन साधे हुए हैं। शिक्षा का ऐसा उपेक्षित चेहरा गाँव की नई पीढ़ी को अंधकार की ओर धकेल रहा है। पढ़ाई न होने की वजह से कई बच्चे अब स्कूल छोड़कर मज़दूरी या अन्य कामों में लगने लगे हैं। गाँव के बुज़ुर्गों ने पीड़ा व्यक्त करते हुए कहा कि जब विद्यालय में ही शिक्षा नहीं मिलेगी तो हमारे बच्चे आगे कैसे बढ़ेंगे? सरकार शिक्षा को बढ़ावा देने के बड़े-बड़े दावे करती है, लेकिन जमीनी हकीकत इसके उलट दिखाई देती है। ग्राम पंचायत बनकटवा के लोगों ने जिला प्रशासन से मांग की है कि इस मामले की गंभीरता से जाँच कराई जाए। अनुपस्थित रहने वाले अध्यापकों पर कड़ी कार्रवाई की जाए और विद्यालय को नियमित रूप से संचालित कराया जाए, ताकि गाँव के मासूम बच्चे शिक्षा से वंचित न रहें। आज के समय में जब शिक्षा को समाज और राष्ट्र की प्रगति की कुंजी माना जाता है, उस दौर में बनकटवा का प्राथमिक विद्यालय प्रशासन की लापरवाही और अध्यापकों की गैर-जिम्मेदारी का जीता-जागता उदाहरण बन गया है। यह स्थिति न केवल बच्चों के भविष्य पर सवाल उठाती है, बल्कि शासन की नीतियों और शिक्षा विभाग की कार्यप्रणाली पर भी गहरा प्रश्नचिह्न खड़ा करती है।