गौशाला की हकीकत: भूख से तड़पती गौ माता, बंद दरवाज़े के पीछे छिपा सच

निष्पक्ष जन अवलोकन।
बदरूजमा चौधरी ।
विकासखंड पचपेड़वा (बलरामपुर) ग्राम पंचायत भगवानपुर शिवपुर सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, भगवानपुर शिवपुर की गौशाला की स्थिति दिन-ब-दिन बदतर होती जा रही है। जहां गौ माता को आदर और सेवा का प्रतीक माना जाता है, वहीं इस गौशाला में आज वे भूख से तड़पने पर मजबूर हैं। सचिव और प्रधान की लापरवाही अब दर्द बनकर उभर रही है। गौशाला में न तो भूसे का पर्याप्त इंतज़ाम है, न ही चोकर या चारा मौजूद। जो कुछ थोड़ा-बहुत बचा है, वह भी सड़ चुका है। कई गौ माताओं की हालत इतनी खराब है कि उनकी हड्डियाँ तक साफ दिखाई दे रही हैं। भूख और प्यास से तड़पती ये बेजुबान अब अपनी आख़िरी साँसें गिन रही हैं। जब मीडिया की टीम मौके पर पहुँची, तो सच को छिपाने की पूरी कोशिश की गई। गौशाला का मुख्य द्वार अंदर से लॉक कर दिया गया और साफ़ शब्दों में कह दिया गया कि “सचिव और प्रधान ने मना किया है कि किसी को अंदर नहीं जाने दिया जाए।” सवाल उठता है — आखिर क्या छिपाना चाहते हैं ये जिम्मेदार? अगर सब कुछ ठीक है तो मीडिया को अंदर जाने से क्यों रोका गया? 26 तारीख को यह खबर प्रसारित हुई थी, परंतु आज तक किसी अधिकारी के कानों पर जूं तक नहीं रेंगी। न कोई जांच, न कोई कार्रवाई। उल्टा मीडिया को फोन पर धमकियां दी गईं। इससे साफ़ जाहिर होता है कि अधिकारियों और सचिव-प्रधान के बीच मिलीभगत चल रही है और गौशाला के नाम पर सरकारी फंड का बंदरबांट किया जा रहा है। मौके पर जाकर कोई भी देख सकता है — एक-एक हड्डी, एक-एक शव, भूख से तड़पते हुए उन जीवों की करुण पुकार। यह न सिर्फ प्रशासन के लिए शर्म की बात है, बल्कि समाज की आत्मा को झकझोर देने वाली सच्चाई है। गौ माता, जिन्हें देवता समान पूजा जाता है, आज सरकारी फाइलों में बस एक नंबर बनकर रह गई हैं। अब वक्त आ गया है कि इस लापरवाही पर सख्त कार्रवाई हो, ताकि आने वाले कल में कोई भी गौशाला, गौ तड़पाने की जगह नहीं, सेवा का केंद्र बने।