मदरहवा में नहीं थम रहा मनरेगा का फर्जी खेल, प्रशासन मौन, ग्रामीणों में आक्रोश

मदरहवा में नहीं थम रहा मनरेगा का फर्जी खेल, प्रशासन मौन, ग्रामीणों में आक्रोश

निष्पक्ष जन अवलोकन। 

 बदरूजमा चौधरी ।

 बलरामपुर। विकासखंड गैसड़ी ग्राम पंचायत मदरहवा में मनरेगा घोटाले की परतें खोल दी हैं। 2 अक्टूबर को इस पंचायत की सच्चाई उजागर करते हुए खबर प्रकाशित की गई थी कि यहां मनरेगा कार्य सिर्फ कागज़ों पर चलता है, परंतु अफ़सोस — आज तक प्रशासन के कानों पर जूं तक नहीं रेंगी। न कोई जांच, न कोई कार्रवाई। मीडिया टीम ने दोबारा जब मौके पर जाकर स्थिति देखी तो तस्वीर पहले से भी ज्यादा डरावनी निकली। मास्टर रोल में दर्ज मजदूरों की ऑनलाइन उपस्थिति दिख रही थी, लेकिन कार्यस्थल पर एक भी मजदूर नहीं मिला। न कहीं फावड़ा चला, न कोई मिट्टी की परत हिली। सिर्फ सूनी जगहें और बंद पड़े कार्यस्थल इस बात की गवाही दे रहे थे कि यहां मनरेगा सिर्फ “ऑनलाइन” चल रहा है, जमीनी स्तर पर नहीं। ग्रामीणों का कहना है कि “मदरहवा में मनरेगा केवल भ्रष्टाचारियों का साधन बन गया है।” मजदूरों के नाम पर फर्जी हाजिरी लगाई जाती है, ऑनलाइन उपस्थिति दर्ज होती है, लेकिन मजदूरों को एक भी रुपया नहीं मिलता। कई मजदूरों ने बताया कि उनका नाम मास्टर रोल में दर्ज है पर उन्होंने महीनों से कोई काम नहीं किया। सूत्र बताते हैं कि ग्राम प्रधान, रोजगार सेवक और सचिव की मिलीभगत से यह फर्जीवाड़ा लगातार जारी है। ऊपर तक रिपोर्ट भेजे जाने के बावजूद संबंधित अधिकारी चुप्पी साधे हुए हैं। यह चुप्पी कहीं न कहीं प्रशासन की कार्यशैली पर भी सवाल खड़े करती है। जनता सवाल पूछ रही है: जब बार-बार सबूतों के साथ खबरें प्रकाशित हो रही हैं, तब भी कार्रवाई क्यों नहीं? आखिर कब तक गरीब मजदूरों का हक़ इस तरह डकारा जाएगा? गांव के एक वृद्ध किसान ने कहा – “हम लोग उम्मीद करते हैं कि सरकार सुनवाई करेगी, पर यहां तो लगता है कि भ्रष्टाचार को ही शासन का हिस्सा बना दिया गया है।” जनता अब यह ठान चुकी है कि इस बार चुप नहीं बैठेगी। यदि जल्द कार्रवाई नहीं हुई, तो मदरहवा से उठने वाली यह आवाज़ पूरे बलरामपुर को हिला देगी।