मनरेगा में बड़ा फर्जीवाड़ा: पचपेडवा विकासखंड में कागजों पर मजदूरी, जमीन पर सन्नाटा

मनरेगा में बड़ा फर्जीवाड़ा: पचपेडवा विकासखंड में कागजों पर मजदूरी, जमीन पर सन्नाटा

निष्पक्ष जन अवलोकन। संवाददाता रुबीना खातून पचपेडवा विकासखंड, बलरामपुर से मनरेगा योजना में गरीबों के हक पर खुलेआम डाका डाले जाने की गंभीर खबर सामने आई है। सूत्रों से मिली जानकारी और मीडिया टीम की जमीनी पड़ताल ने सरकारी दावों की पोल खोलकर रख दी है। ग्राम पंचायत गौरा भारी में 4 मास्टर रोल पर 40 मजदूरों की ऑनलाइन हाजिरी लगाई गई, लेकिन जब मीडिया की टीम कार्यस्थल पर पहुंची तो वहां एक भी मजदूर मौजूद नहीं था। काम कागजों में चलता रहा और भुगतान की तैयारी भी। दूसरा मामला ग्राम पंचायत मनकापुर का है, जहां 4 मास्टर रोल पर 37 मजदूरों की ऑनलाइन अटेंडेंस दर्ज की गई। हकीकत यह रही कि कार्यस्थल पर मजदूरों का नामोनिशान तक नहीं था। पुराने फोटो से फोटो लगाकर सिस्टम में काम पूरा दिखाया जा रहा है। तीसरा खुलासा ग्राम पंचायत गोबारी से हुआ, जहां 6 मास्टर रोल पर 51 मजदूरों की ऑनलाइन हाजिरी चढ़ाई गई। मौके पर न मजदूर मिले, न काम होता दिखा। यहां भी फोटो से फोटो लगाकर मनरेगा के नियमों की खुलेआम धज्जियां उड़ाई जा रही हैं। जब संवाददाता ने इस पूरे मामले पर बीडीओ मोहित दुबे से दूरभाष पर संपर्क किया, तो उन्होंने सीधे तौर पर जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ते हुए कहा कि “एपीओ से बात कर लीजिए।” यह बयान अपने आप में कई सवाल खड़े करता है। स्थानीय लोगों का आरोप है कि अधिकारियों, प्रधान और सचिव की मिलीभगत से सरकारी धन की बंदरबांट हो रही है और गरीब मजदूरों के हिस्से का पैसा मलाईदारों की जेब में जा रहा है। मनरेगा जैसी योजना, जो गरीबों को रोजगार और सम्मान देने के लिए बनी थी, आज भ्रष्टाचार का शिकार बनती दिख रही है। जरूरत है निष्पक्ष जांच की, ताकि दोषियों पर कड़ी कार्रवाई हो और गरीबों का हक उन्हें मिल सके। यह खबर सिर्फ घोटाले की नहीं, बल्कि उस दर्द की है, जो हर उस मजदूर के दिल में है, जिसका नाम तो दर्ज है, पर मजदूरी किसी और की जेब में जा रही है।