समापन दिवस पर महायज्ञ पूर्णाहुति एवं श्रीमद्भागवत कथा का भावपूर्ण समापन
निष्पक्ष जन अवलोकन मनीष सिंह जादौन मुसमरिय(जालौन)गायत्री प्रज्ञा पीठ, मुसमरिया में आयोजित राष्ट्र जागरण नौ कुंडीय गायत्री महायज्ञ एवं श्रीमद्भागवत महापुराण कथा का समापन दिवस शनिवार को अत्यंत श्रद्धा, आस्था एवं दिव्य वातावरण में सम्पन्न हुआ। यह आयोजन अखिल विश्व गायत्री परिवार के संस्थापक युगऋषि वेद मूर्ति, तपोनिष्ठ पं. श्रीराम शर्मा आचार्य जी एवं वन्दनीया माता भगवती देवी शर्मा जी की दिव्य चेतना एवं सूक्ष्म आध्यात्मिक उपस्थिति में सम्पन्न हुआ।समापन दिवस के पूर्वाह्न सत्र में महायज्ञ के विधिवत अनुष्ठान क्रम में सर्वप्रथम देव पूजन वैदिक विधि-विधान एवं गहन श्रद्धा भाव के साथ सम्पन्न हुआ।प्रधान कलश पूजन श्री लल्लन सिंह (अध्यापक) द्वारा किया गया। शिव पाल सिंह (प्रीतपुर डेरा) द्वारा परम् पूज्य गुरुदेव एवं वन्दनीया माता जी का पूजन सम्पन्न हुआ। रूप सिंह दाऊ ने विश्व माता, देवमाता एवं वेदमाता गायत्री का पूजन किया। ग्राम नूरपुर से सोमनाथ, ध्रुव सिंह, कीरत सिंह ने संयुक्त रूप से चारों वेदियों का पूजन किया पुष्पेन्द्र सिंह द्वारा सर्वतोभद्र पूजन सम्पन्न कराया गया।देव पूजन उपरांत महायज्ञ पूर्णाहुति एवं दीक्षा संस्कार का भव्य आयोजन हुआ। तीन पारियों में आयोजित यज्ञ अनुष्ठान में 700वी से अधिक साधकों, परिजनों एवं श्रद्धालुओं ने गायत्री महामंत्र, महामृत्युंजय महामंत्र एवं विशेष वैदिक आहुतियाँ यज्ञ भगवान को समर्पित कीं। श्रद्धालुओं ने राष्ट्र जागरण, जन-जन के कल्याण, निरोगी जीवन, दीर्घायु, समृद्धि एवं पारिवारिक सुख-शांति की कामना की। इस अवसर पर 35 दीक्षा संस्कार, 3 विद्यारंभ संस्कार एवं 3 पुंसवन संस्कार सम्पन्न कराए गए।समापन दिवस के अपराह्न सत्र में श्रीमद्भागवत महापुराण कथा का भावपूर्ण आयोजन हुआ। कथा व्यास “भोले अनिलेश तिवारी का राजेश सिंह सेंगर (सदस्य, गौ सेवा आयोग), नरेन्द्र सिंह चौहान (ग्राम प्रधान, रूरा अडडू), ऋषि सचान एवं प्रीति सचान द्वारा संयुक्त रूप से मंगल तिलक एवं पुष्पहार पहनाकर स्वागत-अभिनंदन किया गया कथा टोली के समस्त सदस्यों का मंगल तिलक एवं अभिनंदन दिलीप सिंह जादौन एवं किशोरी देवी जादौन (यजमान परीक्षित) द्वारा किया गया तथा श्रीमद्भागवत महापुराण का वैदिक रीति से पूजन सम्पन्न हुआ।समूचा वातावरण वेद मंत्रों की गूंज, भक्ति गीतों, श्रद्धा एवं दिव्य ऊर्जा से ओतप्रोत रहा। यह आयोजन राष्ट्र चेतना के जागरण तथा मानव मात्र के कल्याण का प्रेरणास्रोत सिद्ध हुआ।