नौनिहालों का भविष्य अंधकार में, अध्यापकों की लापरवाही से तड़प रही शिक्षा व्यवस्था

निष्पक्ष जन अवलोकन। शिक्षा क्षेत्र पचपेड़वा (बलरामपुर)के अंतर्गत ग्राम पंचायत थारू बनकटवा, मोतीपुर हडहवा और धबौलिया के प्राथमिक विद्यालयों की स्थिति देखकर किसी का भी दिल दहल जाएगा। शिक्षा विभाग की लापरवाही और अध्यापकों की गैरमौजूदगी ने मासूम नौनिहालों का भविष्य अधर में लटका दिया है। सूत्रों से जानकारी मिली कि ग्राम पंचायत थारू बनकटवा का प्राथमिक विद्यालय महीनों से बंद पड़ा रहता है। विद्यालय में चार-चार स्टाफ की तैनाती तो है, लेकिन मौके पर एक भी शिक्षक मौजूद नहीं मिलता। पढ़ाई के लिए आने वाले मासूम बच्चों को मायूस होकर लौटना पड़ता है। दूसरे ग्राम पंचायत मोतीपुर हडहवा में विद्यालय पूरी तरह से शिक्षा मित्र के सहारे चलता है। यहाँ नेहा नाम की अध्यापिका की तैनाती तो है, लेकिन वे महीने की अंतिम तारीख को केवल सिग्नेचर करने आती हैं। बच्चों की पढ़ाई भगवान भरोसे छोड़ दी गई है। तीसरा मामला ग्राम पंचायत धबौलिया का है। यहाँ चार स्टाफ की तैनाती होने के बावजूद केवल कनीज फातिमा शिक्षा मित्र ही विद्यालय संभाल रही हैं। बाकी तीन स्टाफ पूरे महीने लापता रहते हैं और केवल अंतिम तारीख को सिग्नेचर करने पहुँचते हैं। 13 तारीख को निष्पक्ष जन अवलोकन में भी यह तथ्य उजागर हुआ था, लेकिन अधिकारियों ने अब तक कोई कार्यवाही नहीं की। नतीजा यह है कि न तो बच्चों को मिड-डे-मील मिल रहा है और न ही शिक्षा की कोई व्यवस्था। मजबूर होकर मासूम बच्चे पढ़ाई छोड़ होटल और चाय की दुकानों पर गिलास धोने का काम करने लगे हैं। यह तस्वीर केवल शिक्षा की बदहाली नहीं, बल्कि उन नौनिहालों की करुण पुकार है जो कह रहे हैं – "हमारा भविष्य अंधकार में है।" यदि अधिकारियों ने इस पर सख्त कदम नहीं उठाया तो बलरामपुर की एक पूरी पीढ़ी शिक्षा से वंचित रह जाएगी। यह खबर न सिर्फ बलरामपुर बल्कि पूरे प्रदेश को हिला देने वाली है। सवाल यह है कि शिक्षा विभाग और जिम्मेदार अधिकारी कब तक आंखें मूँदकर बैठे रहेंगे?