नन्द के आनंद भयो जय कन्हैयालाल की; श्रीकृष्ण जन्मोत्सव पर भक्ति में डूबे श्रद्धालु, गूंज उठा पंडाल
निष्पक्ष जन अवलोकन। रामेश्वर विश्वकर्मा रुद्रपुरी रुद्रपुर (देवरिया)। महेशपुर गांव में चल रही श्रीमद् भागवत कथा के चौथे दिन कथा स्थल भक्तिमय वातावरण में झूम उठा, जब कथा वाचक शास्त्री शाकंभरी द्विवेदी ने श्रीकृष्ण जन्मोत्सव का दिव्य प्रसंग सुनाया। भगवान श्रीकृष्ण के जन्म प्रसंग पर जैसे ही कथा आगे बढ़ी, पंडाल में जय श्रीकृष्ण के जयघोष गूंजने लगे और श्रद्धालु भावविभोर हो उठे। कथा का रसपान कराते हुए शास्त्री शाकंभरी ने कहा कि व्यक्ति को कभी भी अहंकार नहीं करना चाहिए, क्योंकि अहंकार बुद्धि और ज्ञान का हरण कर लेता है। अहंकार ही मनुष्य का सबसे बड़ा शत्रु है, जो उसके जीवन के सभी सद्गुणों को निगल जाता है। उन्होंने बताया कि जब अत्याचारी कंस के पापों से धरती कांप उठी, तब भगवान श्रीकृष्ण ने अवतार लेकर धर्म की पुनर्स्थापना की। कथावाचक ने भावपूर्ण शब्दों में बताया कि जब-जब अधर्म बढ़ता है, तब-तब ईश्वर धरती पर अवतरित होकर धर्म की रक्षा करते हैं। जैसे ही कथा में श्रीकृष्ण जन्म का प्रसंग आया, पूरा पंडाल नन्द के आनंद भयो, जय कन्हैयालाल की के भजनों से गूंज उठा। श्रद्धालु भक्ति में लीन होकर नाच उठे, एक-दूसरे को श्रीकृष्ण जन्म की बधाइयाँ दीं और मिठाइयाँ बांटीं। इस पावन अवसर पर मुख्य यजमान जगतनारायण पाण्डेय व सुमन देवी रहे। साथ ही आचार्य अंतर्यामी पाण्डेय, अवध नारायण पाण्डेय, रमेश पाण्डेय, शेषनाथ पाण्डेय, चंद्रशेखर पाण्डेय, अशोक पाण्डेय, रमाशंकर त्रिपाठी, शारदा मणि त्रिपाठी, शिव बिहारी त्रिपाठी, हरे किशुन त्रिपाठी और प्रह्लाद त्रिपाठी सहित काफी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित रहे।