संघ के तीन भीष्म के नाट्य मंचन ने दर्शकों को किया भावविभोर

संघ के तीन भीष्म के नाट्य मंचन ने दर्शकों को किया भावविभोर

निष्पक्ष जन अवलोकन। रामेश्वर विश्वकर्मा रुद्रपुरी। देवरिया। रंगमंच एवं ललित कलाओं के लिए समर्पित अखिल भारतीय संस्था संस्कार भारती, देवरिया के तत्वावधान में बुधवार को ऐतिहासिक एवं वैचारिक पृष्ठभूमि पर आधारित नाट्य प्रस्तुति संघ के तीन भीष्म का प्रभावशाली मंचन हुआ, जहां बड़ी संख्या में दर्शक उपस्थित रहे। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि गोरक्ष प्रान्त के सह प्रान्त कार्यवाह वीरेंद्र जी व विशिष्ट अतिथि जिला संघ चालक मकसूदन एवं जिला सह संघ चालक अवनीश बरनवाल ने दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम की शुरूआत की। मुख्य अतिथि ने नाट्य प्रस्तुति की सराहना करते हुए इसे राष्ट्रबोध और वैचारिक चेतना को सशक्त करने वाला बताया। नाट्य प्रस्तुति में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रथम तीन सरसंघचालकों डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार, माधव सदाशिव गोलवलकर (गुरुजी) एवं बालासाहेब देवरस के जीवन, कर्तृत्व और राष्ट्रनिर्माण में योगदान को चयनित ऐतिहासिक प्रसंगों के माध्यम से सजीव रूप में प्रस्तुत किया गया। भारतमाता की प्रस्तावना के साथ कथानक को कालानुरूप प्रवाहित करते हुए वर्ष 1889 से 1996 तक के महत्वपूर्ण कालखंड को प्रभावी ढंग से मंचित किया गया। प्रथम अंक में डॉ. हेडगेवार के बाल्यकाल, वंदे मातरम् प्रसंग, संघ स्थापना और संघ विस्तार से जुड़े प्रसंगों को दर्शाया गया, जबकि आगामी अंकों में गुरुजी और बालासाहेब देवरस के जीवन से संबंधित संघ नेतृत्व, कश्मीर विलय, संघ प्रतिबंध, आपातकाल सत्याग्रह तथा रामजन्मभूमि आंदोलन जैसे महत्वपूर्ण प्रसंगों का सशक्त नाट्यांकन किया गया। संस्कार भारती के जिलाध्यक्ष अरुण कुमार बरनवाल एवं संरक्षक शक्ति गुप्ता ने अतिथियों का स्वागत किया। कार्यक्रम संयोजक हीरा वर्मा ने सभी कलाकारों, अतिथियों एवं दर्शकों के प्रति आभार व्यक्त किया। संचालन महामंत्री राजेन्द्र जायसवाल ने किया। आयोजन में कपिल सोनी, अटल बरनवाल, सौरभ श्रीवास्तव, सुरेश गुप्ता, रमेश वर्मा, मुन्नीलाल शर्मा, राजा मणि, अजय बरनवाल, माया त्रिपाठी, पूनम मणि, प्रियंका जोशी, संतोष सोनी, शीला श्रीवास्तव, नितिन बरनवाल, कंचन कुमार बरनवाल, कमलेश मित्तल एवं शशांक मणि का सक्रिय सहयोग रहा। सम्पूर्ण मंचन ने दर्शकों को भावनात्मक रूप से जोड़ते हुए राष्ट्रनिष्ठा और सांस्कृतिक चेतना का सशक्त संदेश दिया, जिसे उपस्थित जनसमूह ने करतल ध्वनि के साथ सराहा।