जिला कारागार में श्रीमद्भागवत कथा के साथ भक्ति मय हुआ वातावरण

जिला कारागार गोरखपुर में श्री अभियेन्द्र गर्गाचार्य जी महाराज द्वारा श्रीमद्भागवत कथा का आयोजन, बंदियों को आध्यात्म और सत्कर्म की प्रेरणा दी गई।

जिला कारागार में श्रीमद्भागवत कथा के साथ भक्ति मय हुआ वातावरण
बंदियों को कथा श्रवण कराते पूज्य श्री अभियेन्द्र गर्गाचार्य जी महाराज, साथ में उपस्थित जेल अधिकारीगण।
जिला कारागार में श्रीमद्भागवत कथा के साथ भक्ति मय हुआ वातावरण

निष्पक्ष जन अवलोकन 

विभव पाठक

गोरखपुर। जिला कारागार गोरखपुर में शुक्रवार को आध्यात्मिकता और भक्ति का अद्भुत संगम देखने को मिला। जय श्री राधे माधव गोपाल चैरिटेबल ट्रस्ट रुद्रपुर (देवरिया) के तत्वावधान में पूज्य श्री अभियेन्द्र गर्गाचार्य जी महाराज द्वारा श्रीमद्भागवत कथा का आयोजन किया गया, जिसमें बंदियों ने भक्तिमय वातावरण में कथा रसामृत का पान किया। कारागार परिसर में भक्ति की मधुर ध्वनियाँ गूंजती रहीं और सभी के मन में श्रद्धा और शांति का संचार हुआ।

कथा प्रारंभ से पूर्व जेल अधीक्षक डी.के. पाण्डेय ने श्रीमद्भागवत पुराण और बालगोपाल श्रीकृष्ण की प्रतिमा का पूजन कर तथा दीप प्रज्ज्वलित कर कार्यक्रम की विधिवत शुरुआत की। इस दौरान उन्होंने आचार्य जी का माल्यार्पण कर उनका स्वागत भी किया।

आचार्य प्रवर अभियेन्द्र गर्गाचार्य जी महाराज ने कथा के माध्यम से बंदियों को उत्तम जीवन, सत्कर्म, अध्यात्म और परोपकार के महत्व पर प्रेरक प्रवचन दिया। उन्होंने कहा कि मनुष्य जीवन उसे अपने कर्मों से ही श्रेष्ठ बनाना होता है और इसे सुधारने के लिए कभी भी देर नहीं होती।

उन्होंने संदेश दिया कि —

“बंदी जीवन के दौरान व्यक्ति अपने अंदर छिपी अच्छाई को फिर से जागृत कर सकता है। योग, प्राणायाम, शिक्षा, शास्त्र अध्ययन और भजन-कीर्तन मन को पवित्र और मजबूत बनाते हैं।”

उन्होंने बंदियों से आह्वान किया कि वे अपने मन से दुर्गुणों और क्रोध, घृणा, प्रतिशोध जैसी बुराइयों को त्यागकर सद्मार्ग को अपनाएँ और अपने भविष्य को उज्ज्वल बनाएं। कथा के दौरान बंदियों ने भक्ति भाव से भजन भी प्रस्तुत किए, जिससे वातावरण और भी आध्यात्मिक हो उठा।

कार्यक्रम को सफल बनाने में स्वामी अरिहंत, अनय, दिव्यांशु का सराहनीय योगदान रहा। वहीं जेल विजिटर एवं आकाशवाणी की उद्घोषिका अमृता धीर मेहरोत्रा ने मंच संचालन करते हुए पूरे आयोजन में ऊर्जामय माहौल बनाए रखा। उन्होंने कार्यक्रम के सुचारु संचालन के लिए लगातार सहयोग प्रदान किया।

जेल प्रशासन ने यह भी सुनिश्चित किया कि भक्ति संदेश प्रत्येक बंदी तक पहुंचे। इसी उद्देश्य से कथा का सीधा प्रसारण समूचे कारागार परिसर सहित जेल के बाहर भी किया गया, ताकि अधिक से अधिक बंदियों को आध्यात्मिक लाभ मिल सके।

जेल अधिकारियों ने कहा कि इस प्रकार के आध्यात्मिक और सांस्कृतिक आयोजन बंदियों के जीवन में सकारात्मक बदलाव लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। यह उन्हें जीवन के नए अर्थ और नई दिशा प्रदान करते हैं। ऐसे कार्यक्रमों से बंदियों के अंदर छिपी मानवीय संवेदनाएँ जागृत होती हैं और समाज की मुख्य धारा में पुनः लौटने की आशा बढ़ती है।

कार्यक्रम में जेलर अरुण कुमार कुशवाहा, उप जेलर आदित्य कुमार जायसवाल, अमिता श्रीवास्तव, विजय कुमार सहित कारागार के सभी कर्मचारी उपस्थित रहे और व्यवस्थाओं में योगदान दिया।

अंत में बंदियों ने श्रद्धा और भावनाओं के साथ भजन गाकर कार्यक्रम का समापन किया।

जिला कारागार इस आयोजन के माध्यम से आध्यात्म और सुधार के एक नए संदेश का केंद्र बना रहा।